November 22, 2024

बिहार विधान परिषद-मनोनयन कोटा,फिर ‘हकमारी’ सुनिश्चित,न्यायालय में भी मामला लंबित,इतिहास दोहराने की संभावना

पटना।(बन बिहारी)बिहार विधान परिषद में राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किए जाने वाले मनोनीत कोटा के सदस्यों की नियुक्ति होने वाली है।कुल 12 सीट रिक्त हैं।संविधान के मुताबिक राज्यपाल के द्वारा मनोनयन कोटा से साहित्य,विज्ञान,कला तथा सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति का प्रावधान है।मगर वर्तमान काल खंड में मनोनयन कोटा में भी नेताओं का सौ फीसदी रिजर्वेशन हो गया है।माना जा रहा है कि इस बार भी विधान परिषद के मनोनयन कोटा में ‘हकमारी’ सुनिश्चित की जा चुकी है।’हकमारी’ का तात्पर्य यह है की मनोनयन कोटा में नियमसम्मत तरीके से साहित्य,विज्ञान,कला,सहयोग आंदोलन अथवा सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति होनी चाहिए।मगर आशा के विपरीत इस बार भी सभी 12 सीटों पर हमेशा की तरह सत्ताधारी दल के ‘सेवक’ ही भरे जाएंगे। पिछली बार 2014 में इस कोटे से राम लखन राम रमन,विजय कुमार मिश्रा, सम्राट चौधरी,राणा गंगेश्वर सिंह,जावेद इकबाल अंसारी,राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह,शिव प्रसन्न यादव,संजय कुमार सिंह,डॉ रामबचन राय,ललन कुमार सर्राफ,रणवीर नंदन तथा रामचंद्र भारती को परिषद भेजा गया था। कहने वाले जो भी कहे मगर जनता जानती है कि इनमें से सभी लोग सत्ताधारी दल के बड़े-छोटे ‘अनुचर’ ही रहे हैं।संविधान के अनुरूप जिन पदों पर साहित्य,विज्ञान,कला, सहकारी आंदोलन तथा समाज सेवा के क्षेत्रों में विशिष्टता रखने वाले लोगों को भेजा जाना चाहिए।वहां भी अब राजनीतिक तत्वों को ही भेजा जाता है। प्रक्रिया के अनुसार इस में कैबिनेट की सिफारिश के बाद राज्यपाल को मनोनयन करना होता है।आमतौर पर कैबिनेट की सिफारिश के लिए मुख्यमंत्री अधिकृत रहते हैं।पिछली बार जब मनोनयन कोटा से उपरोक्त वर्णित नामों को मनोनीत किया गया था।तब भी इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक-सामाजिक गलियारों में काफी बहस हुई थी।इस प्रकरण पर नागरिक अधिकार मंच ने पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था।पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि नागरिक अधिकार मंच के तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई भी हुई है।फिलहाल पटना उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी संख्या 10819/2015 लंबित है।बताया जाता है कि समरूप प्रकृति का एक एसएलपी भी सर्वोच्च न्यायालय के यहां लंबित है।यह भी विडंबना ही मानी जा सकती है की नियुक्ति के बाद अवधि भी पूर्ण हो गई। मगर न्यायालय में विवाद का निपटारा नहीं हो सका।बिहार विधान परिषद के मनोनयन कोटा के 12 रिक्त सीट फिर भरे जाने हैं।जदयू से 7 तथा भाजपा से 5 सदस्यों के जाने की चर्चा है।दोनों पार्टियों के द्वारा कमोबेश नाम भी फाइनल कर लिया गया है।मगर इसकी उम्मीद बेहद कम लग रही है की इस बार भी राजनीतिक शक्तियों से इतर साहित्य,कला या विज्ञान जगत के लोगों को मौका मिलेगा।इस मसले पर कांग्रेस के विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने सरकार को घेरा भी है।उन्होंने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि मनोनयन कोटा में साहित्य,विज्ञान,कला तथा समाज सेवा के क्षेत्र के उत्कृष्ट लोगों को नजरअंदाज नहीं किया जाए।इस संबंध में हिंद कांग्रेस पार्टी द्वारा भी बिहार के राज्यपाल को पत्र लिखकर मनोनयन कोटा में उल्लेखित क्षेत्रों के उत्कृष्ट लोगों को मनोनीत करने की मांग की गई है।बहरहाल होना जो भी हो,मगर जब भी मनोनयन कोटा की रिक्तियां आती हैं।एक बहस जरूर छिड़ जाती है।

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