कृषि मंत्री बोले: बिहार को महज 35 फीसदी ही खाद मिला, हंगामा करने से समस्या का समाधान नहीं
पटना। बिहार में खाद का उत्पादन नहीं होता है। बरौनी खाद कारखाना वर्षों से बंद है। यूरिया के एक दाने का भी यहां उत्पादन नहीं है। केन्द्र सरकार जो देती है, वहीं किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। लोगों को यह बात समझनी होगी, सिर्फ हंगामा करने से समस्या का समाधान नहीं होगा। यह कहना है बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह का।
डीएपी की जगह एनकेपी खाद भी दिया जा रहा
शुक्रवार को कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार को जितना खाद मिलना चाहिए केंद्र से महज 35 फीसदी ही मिला है। उन्होंने कहा कि डीएपी की जगह एनकेपी खाद भी दिया जा रहा है, जिसका काम डीएपी की तरह होगा, लेकिन किसानों को डीएपी डालने की आदत है। सरकार एनकेपी खाद की जानकारी भी दे रही है।
12-13 दिसंबर तक स्थिति सामान्य कर लेने का दावा
उन्होंने 12-13 दिसंबर तक स्थिति को सामान्य कर लेने का दावा किया। उन्होंने कहा कि इतनी समस्या के बावजूद अब स्थिति सामान्य हो रही है। जितना हंगामा हो रहा है, उतनी किल्लत है नहीं। कुछ मीडिया बेवजह मामले को तूल दे रहे हैं। हां, इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि हर जगह खाद उपलब्ध नहीं है। केन्द्र सरकार को सूचित किया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार से ज्यादा दूसरे प्रदेशों में खाद की भारी किल्लत है, लेकिन बिहार में स्थिति को सामान्य करने में मुख्यमंत्री खुद लगे हुए हैं। केन्द्रीय स्तर के नेताओं से लगातार बात हो रही है। केन्द्र से कहां-कहां खाद पहुंचा, इसके रिकॉर्ड का संकलन किया जा रहा है, ताकी प्रोपेगेंडा ना बने।
60 प्रतिशत मटेरियल विदेशों से आते हैं
मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में सारे आवागमण बंद थे। रेल और सड़क परिवहन के साथ-साथ हवाई सेवा भी बंद थे। इस कारण समय पर बिहार में खाद नहीं पहुंच पाया। कहा कि डीएपी खाद बनाने के 60 प्रतिशत मटेरियल विदेशों से मंगाये जाते हैं, लेकिन हवाई और शिप सेवा बंद होने के कारण कच्चे चीजों का आयात नहीं हो पाया। इस कारण उत्पादन काफी कम हुई है।