December 27, 2024

BIHAR : नलकूपों में लगेगी आईओटी डिवाइस, बैठकर नलकूपों के संचालन का होगा आकलन

पटना। बिहार सरकार के लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री के महत्वपूर्ण कार्यक्रम जल-जीवन-हरियाली का क्रियान्वयन विभिन्न विभागों के द्वारा किया जा रहा है। विभाग द्वारा परंपरागत जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम किया जा रहा है। विभाग को 5 एकड़ से अधिक के क्षेत्रफल वाले सभी परंपरागत जल स्त्रोतों की उड़ाही का जिम्मा दिया गया है। मानसून के पहले करीब एक हजार जल स्त्रोतों की उड़ाही का काम पूरा कर लिया गया है। उन सब में इस बार जल भंडारण हुआ है। 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले बाकी बचे तालाबों के डीपीआर बनाने का काम चल रहा है। जल संचयन करने को लेकर चरणबद्ध तरीके से इनकी भी उड़ाही का काम किया जायेगा।
श्री मीणा ने बताया कि विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में ऐसी बड़ी-बड़ी संरचनायें जिसमें काफी वर्षों से गाद भर गई थी और ऐसे बहुत सारे तालाब, जिनका अतिक्रमण हो गया था, उसको समाप्त कर उनमें जल भंडारण की क्षमता में काफी वृद्धि की है। विभाग ने इसका कड़ाई से अनुश्रवण किया है। सभी तालाबों की उड़ाही का प्राक्कलन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। प्रत्येक योजना में हुए कार्यों का फोटोग्राफ लिया गया है। सभी योजना में हुए काम की मापी पुस्तिका का विवरण भी अपलोड किया गया है। जन साधारण की जानकारी के लिए यह पब्लिक डोमेन में है। इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित की गयी है। उन्होंने बताया कि सभी तालाबों का सर्वेक्षण कर उनमें वृक्षारोपण किया जायेगा। जो तालाब बसावट के आसपास हैं, उनमें तालाब के चारों ओर पेवर ब्लॉक का पेवमेंट बनाया जा रहा है। हर तालाब में इनलेट और आउटलेट की व्यवस्था की गई है ताकि उसमें पानी भर सके और उससे पानी निकालकर किसान पटवन कर सकें। इससे एक ओर जहां सिंचाई की क्षमता में व्यापक वृद्धि हुई है, वहीं जलस्तर में भी काफी वृद्धि हुई है। इसका लाभ किसानों को मिल रहा है।
श्री मीणा ने बताया कि इसके साथ-साथ दक्षिण बिहार के अधिकांश जिलों में वैसे आहर और पाइन जिसका पिछले कुछ वर्षों में व्यवस्थित तरीके से खुदाई का काम नहीं हो पाया था, उसका पिछले वित्तीय वर्ष में जल जीवन हरियाली अभियान के अंतर्गत उड़ाही का काम किया है। इससे किसानों में काफी खुशी है। फसल के इस मौसम में आहर और पाइन किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। बचे हुए आहर और पाइन की खुदाई और रखरखाव का काम भी किया जायेगा।
लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में 10 हजार 200 राजकीय नलकूपों के संचालन का जिम्मा भी विभाग के पास है। इसमें से लगभग 50 प्रतिशत नलकूप चालू हैं, जबकि बाकी विभिन्न कारणों से बंद है। 2019 के फरवरी महीने से सभी नलकूपों का संचालन और रखरखाव के लिए ग्राम पंचायतों को धनराशि भी उपलब्ध करायी गई है। विभाग के अभियंता इसका तकनीकी पर्यवेक्षण करते हैं। अब ग्राम पंचायतें ही इन राजकीय नलकूपों का संचालन कर रही है। इससे नलकूपों के संचालन में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित हुई है। बाकि बचे हुए नलकूपों को चालू करने को लेकर अभियान चल रहा है। उम्मीद है कि 4 महीने के अंदर बचे हुए नलकूपों में से 90 प्रतिशत चालू हो जायेंगे। विभाग ने नलकूपों के संचालन कार्य के उचित अनुश्रवण के लिए इंटरनेट आॅफ थिंग्स (आईओटी) आधारित अनुश्रवण व्यवस्था विकसित की है। प्रथम चरण में 4 हजार नलकूपों में आईओटी डिवाइस लगायी जा रही है, जिससे रिमोटली बैठकर नलकूपों के संचालन का आकलन किया जा सकता है। इससे यह पता चलेगा कि कौन नलकूप कितने अवधि के लिए संचालित हुए और कौन लंबे समय से बंद पड़ा है। इससे अनुश्रवण में सहूलियत होगी। अब तक 300 नलकूपों में ये डिवाइस लग चुकी है और अगले 3 महीने में सभी 4 हजार नलकूपों में इसे लगा दिया जायेगा। दिसंबर तक सभी नलकूप चालू होने के बाद बचे हुए सभी नलकूपों में ये डिवाइस लगायी जायेगी। इससे आने वाले समय में राजकीय नलकूपों का उचित संचालन और प्रबंधन होगा जिससे किसानों को व्यापक लाभ होगा।

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