BIHAR : अंग क्षेत्र के मुस्लिम बुनकरों के हाथों तैयार भागलपुरी डल चादर ओढ़ेंगे अयोध्या के साधु-संत
भागलपुर। अंग महाजनपद के हृदय स्थल भागलपुर में मुस्लिम बुनकरों के हाथों तैयार किया गया भागलपुरी डल चादर अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के मौके पर साधु-संतों को भेंट की जाएगी। 5 अगस्त को हो रहे मंदिर शिलान्यास के भव्य समारोह में शिरकत करने वाले सभी विशिष्ट अतिथियों को भी हंस देवराहा बाबा आश्रम की ओर से सम्मानस्वरूप यह चादर ओढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए भागलपुर से 12 हजार चादरें अयोध्या भेजी गई हैं।
अयोध्या स्थित देवराहा बाबा आश्रम की ओर से डल चादर के लिए भागलपुर के कुछ कारोबारियों को आर्डर मिले थे। उन्होंने नाथनगर, चंपानगर और पुरैनी के मुस्लिम बुनकरों से चादर तैयार करवायी। बुनकर मो. बबलू, मो. परवेज और मो. मुन्ना ने बताया कि इस काम में उन्हें एक महीने से अधिक समय लगा। चादर भिजवाने का जिम्मा देवराहा बाबा आश्रम से जुड़े भागलपुर निवासी सहायक वाणिज्य कर आयुक्त रामाधार सिंह, पीएचईडी के अधीक्षण अभियंता सुमन कुमार और पूर्व आयकर अधिकारी गिरिश झा की टीम को मिला था।
इस बाबत गिरीश झा ने बताया कि शिलान्यास के मौके पर देशभर से आए साधु-संतों और विशिष्ट लोगों को हंस देवराहा बाबा की ओर से भागलपुरी चादर के साथ लड्डू का प्रसाद भेंट की जाएगी। गाय घी से बने लड्डू अयोध्या में ही तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ये चादर अयोध्या स्थित 160 आश्रम व धार्मिक संस्थाओं के संतों और संचालकों को भी भेंट की जाएगी, जिनका मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुलायम, शुद्ध, बेहतर गुणवत्ता और कई खासियत के कारण भागलपुरी चादर मंगाने का फैसला हंस देवरावा बाबा ने लिया था। गिरिश झा के अनुसार अयोध्या भेजी गईं सभी चादरें आकर्षक पीले रंग की हैं।
हर साल तैयार होती 20 लाख चादर, अरब देशों तक मांग
बिहार राज्य बुनकर कल्याण समिति के सदस्य और चादर कारोबारी अलीम अंसारी ने बताया कि यह चादर सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में उपयोग के लिए बहुत आरामदायक है। यह धोने में आसान है और टिकाऊ है। चंपानगर के कारोबारी मो. इंतेखार उर्फ मिंतो ने बताया कि यह चादर स्टेपल धागे से तैयार होती है जो प्राकृतिक स्रोतों से बनता है। अलीम अंसारी के अनुसार भागलपुर में हर साल करीब 20 लाख चादर बुनकर तैयार करते हैं। चादर के कारोबारी जियाउर रहमान के अनुसार यहां एक चादर 200 रुपए से लेकर 350 रुपए तक में आती है जो बाहर तीगुने-चौगुने दाम में बिकती है। कारोबारी अलीम अंसारी ने बताया कुछ साल से बड़ी संख्या में यह चादर अरब देशों में जा रही है। ईरान के लोग साफा यानी पगड़ी के रूप में भी इसका इस्तेमाल करते हैं।