पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 313 शिक्षकों की सैलरी पर रोक लगाने का दिया आदेश

कलकत्ता। पश्चिम बंगाल सरकार अभी 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों का मामला सुलझा भी नहीं पाई है कि राज्य सरकार को शिक्षकों की भर्ती संबंधी एक अन्य मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सोमवार को बंगाल सरकार को एक साथ 313 शिक्षकों का वेतन बंद करने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु की पीठ ने यह निर्देश दिया। कोर्ट ने इसके लिए 72 घंटे की समय सीमा भी तय की है। जीटीए यानी पहाड़ों में शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। उस मामले की जांच सीआईडी कर रही थी। न्यायाधीश बसु ने पहले भी कई बार राज्य सरकार से भर्ती संबंधी जानकारी मांगी थी। हालांकि, कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी गई। सोमवार को दस्तावेजों की जांच करने के बाद, न्यायाधीश ने शिक्षकों का वेतन बंद करने का आदेश दिया। साथ ही राज्य को 72 घंटे में 313 शिक्षकों की सभी जानकारी अदालत में प्रस्तुत करनी होगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी इंडोर स्टेडियम में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से मुलाकात की। बनर्जी ने इस दौरान कहा, जब तक मैं जिंदा हूं किसी योग्य उम्मीदवार की नौकरी नहीं जाने दूंगी। बनर्जी ने प्रभावित शिक्षकों और कर्मचारियों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने-अपने स्कूलों में वापस लौटें और ‘स्वेच्छा से’ अपना कर्तव्य फिर से शुरू करें। बनर्जी ने आश्वासन दिया कि वह प्रभावित शिक्षकों के लिए दो महीने के भीतर वैकल्पिक व्यवस्था करेंगी। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी पुष्टि की है कि उनकी सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। ममता बनर्जी ने कहा, शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने की साजिश चल रही है। पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (डब्ल्यूबीबीएसई) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। याचिका में पिछले सप्ताह 25,000 से अधिक स्कूल नौकरियों को रद्द करने के आदेश में संशोधन की मांग की गई। बंगाल बोर्ड के एक उच्च स्तरीय सूत्र ने बताया, याचिका में बोर्ड के वकील ने कहा है कि योग्य उम्मीदवारों को आगामी शैक्षिक वर्ष के अंत तक या नई भर्ती प्रक्रिया के शुरू होने तक अपनी ड्यूटी पर बने रहने की अनुमति दी जाए। हालांकि, बोर्ड के अध्यक्ष रामानुज गांगुली ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया।

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