पीएम ईएसी के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का निधन: आर्थिक जगत में शोक, प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएम-ईएसी) के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय का 1 नवंबर को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर ने उनके परिवार, समर्थकों और आर्थिक क्षेत्र में सभी को गहरे शोक में डाल दिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य रहा है, और उन्होंने आर्थिक नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देबरॉय एक महान विद्वान थे, जिनकी विद्वता और सोच का प्रभाव भारत के बौद्धिक क्षेत्र में हमेशा रहेगा। बिबेक देबरॉय सिर्फ अर्थशास्त्र में ही नहीं, बल्कि इतिहास, राजनीति, संस्कृति और अध्यात्म में भी गहरी रुचि रखते थे। उनकी विशेषज्ञता के दायरे में अर्थशास्त्र के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन भी शामिल था। देबरॉय ने महाभारत, भगवद गीता, और उपनिषदों जैसी कई प्राचीन ग्रंथों का अनुवाद कर उन्हें आम जनता और खासकर युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने का कार्य किया। बिबेक देबरॉय का अकादमिक जीवन भी बेहद प्रभावशाली रहा। उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनके ज्ञान का विस्तार उनके लेखन और शोध में साफ दिखाई देता था। उनकी विद्वता ने उन्हें अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में गहन अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।
भारतीय आर्थिक नीतियों में देबरॉय का योगदान
बिबेक देबरॉय का करियर भारतीय आर्थिक नीतियों को आकार देने में उनकी भूमिका के लिए हमेशा याद किया जाएगा। वे नीति आयोग के सदस्य रहे और 2007 से नीति अनुसंधान केंद्र में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। अपने करियर के दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर काम किया और अपने नीतिगत सुझावों से सरकार को मार्गदर्शन प्रदान किया। उनके विचार और विश्लेषण ने आर्थिक सुधारों और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देबरॉय ने अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया, जैसे कर संरचना, व्यापार नीति, जीडीपी वृद्धि, वित्तीय सुधार, और आर्थिक समावेशन। उनके काम ने कई नीति निर्माण के निर्णयों पर गहरा प्रभाव डाला और अर्थव्यवस्था को अधिक कुशल और समृद्ध बनाने के उद्देश्य से उनके नीतिगत सुझावों को अपनाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी का शोक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देबरॉय के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि उनकी विद्वता और अध्ययन के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देबरॉय न केवल एक महान अर्थशास्त्री थे, बल्कि वे एक ऐसे विद्वान थे जो विभिन्न क्षेत्रों में पारंगत थे। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बिबेक देबरॉय का भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण अद्वितीय था और उन्होंने इसे अपने कार्यों के माध्यम से युवाओं के लिए सुलभ बनाया। प्रधानमंत्री के अनुसार, बिबेक देबरॉय का योगदान न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था तक सीमित था, बल्कि उनका दृष्टिकोण भारत को एक समृद्ध और सशक्त राष्ट्र बनाने के लिए प्रेरित करता रहा। उनका निधन प्रधानमंत्री के लिए व्यक्तिगत रूप से भी एक बड़ी क्षति है, क्योंकि देबरॉय के विचारों और सुझावों ने प्रधानमंत्री के निर्णयों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देबरॉय के निधन से उत्पन्न शून्यता
बिबेक देबरॉय के निधन से न केवल उनके परिवार और दोस्तों को गहरा आघात पहुंचा है, बल्कि भारतीय आर्थिक जगत में भी एक गहरा खालीपन उत्पन्न हुआ है। उनकी अंतर्दृष्टि और गहन ज्ञान का क्षेत्रव्यापी प्रभाव था, जिसने उन्हें एक अद्वितीय विद्वान के रूप में स्थापित किया। देबरॉय का मार्गदर्शन न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी मूल्यवान साबित होता, लेकिन उनके असमय निधन से आर्थिक और बौद्धिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान खाली हो गया है। उनके निधन के बाद उनके कार्यों और योगदान की गूंज हमेशा याद की जाएगी। उनके द्वारा किए गए कार्य और नीति संबंधी विचार आने वाले समय में भी भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।