2 सितंबर को जयंती योग में मनाई जाएगी ‘कृष्ण जन्माष्टमी’
पूरे दो वर्षो के बाद रोहिणी नक्षत्र व वृषभ लग्न में मनेगी जन्माष्टमी, मिलेगी तीन जन्मों के पापों से मुक्ति
पटना। कृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व आगामी 2 सितंबर दिन रविवार को जयंती योग में मनाया जाएगा। वही वैष्णव संप्रदाय व साधु संतो की कृष्णाष्टमी 3 सितंबर सोमवार को उदया तिथि अष्टमी एवं कालिक रोहिणी नक्षत्र से युक्त जयद योग में मनाई जाएगी। श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को हुआ था। इसलिए भाद्रपद मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र का भी संयोग होने से यह और भी शुभ हो गया है। कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि भारतीय ज्योतिष शास्त्र व पंचागीय गणना के अनुसार इस बार जन्माष्टमी रविवार के दिन वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में जयंती योग, भाव करण तथा रोहिणी नक्षत्र में मनेगी है। जन्माष्टमी पर जयंती योग एवं वृषभ लग्न होने से यह व्रत और भी पुण्य फलदायी हो गया है। इस योग में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा एवं व्रत करने से तीन जन्म के पापों से मुक्ति मिलेगी। पं. झा ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का होना विशेष शुभ माना जाता है। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ है। इस नक्षत्र में योगेश्वर श्रीकृष्ण का पूजन सुख-शांति तथा समृद्धि देने वाला माना गया है। साधना तथा नवीन वस्तुओं की खरीदी के मान से भी यह दिन सर्वोत्तम है। जन्माष्टमी पर रविवार के दिन भाव करण तथा जयंती योग के होने से अति युग्म संयोग बना है। यह योग शुभ कार्यों में सिद्धि देने वाला माना जाता है।
जन्माष्टमी का महत्व: पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जयंती योग और वृषभ लग्न में जन्माष्टमी का पावन त्योहार मनाया जायेगा। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी दुखों व शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व प्रेम की सद्भावना जागृत होती है। इस दिन श्री कृष्ण प्रसन्न की पूजा, आराधना एवं लीला की गुणगान करने से संतान संबंधित सभी विपदाएं दूर हो जाती हैं। श्री कृष्ण अपने भक्तों के सभी कष्टों को भी हर लेते हैं।
रोहिणी नक्षत्र होने बढ़ गई महत्ता: पंडित झा ने शास्त्र का आशय देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में हुआ। श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी में इसका विशेष महत्व माना गया है। ज्योतिष में रोहिणी को उदार, मधुर, मनमोहक और शुभ नक्षत्र माना जाता है। रोहिणी शब्द विकास, प्रगति का सूचक है।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त: जन्माष्टमी के दिन निशिता पूजा का समय मध्य रात्रि 11:57 बजे से 12: 43 बजे तक है।
पूजन शुभ मुहूर्त की अवधि: 45 मिनट