देश के पहले डिजिटल भिखारी की हार्ट अटैक से मौत, बेतिया के स्टेशन पर रखता था क्यूआर कोड

बेतिया। बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर अपने गले में क्यूआर की तख्ती और टैब लेकर चलने वाला डिजिटल भिखारी राजू अब लोगों से पैसे लेने नहीं आएगा। स्टेशन पर भीख मांगने के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई है। डॉक्टरों ने बताया कि राजू को हार्ट अटैक आया था। दरअसल डिजिटल भिखारी राजू की तबीयत कुछ दिनों से खराब थी। इसके बाद उसे बेतिया जीएमसीएच में भर्ती कराया गया। जहां हृदय गति रुकने से मौत हो गई है। अस्पताल पहुंचे उसके परिजन ने बताया कि उन्हें लोगों से घटना की सूचना मिली, जिसके बाद वह अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि उसकी मौत हो चुकी है। यह स्टेशन-स्टेशन, गांव-गांव घूम कर भीख मांगता था। घर पर नहीं रहता था। भीख मांग कर ही गुजारा करता था। गार्ड ने आकर बताया कि राजू की मौत हो गई है। जिसके बाद हमलोग अस्पताल पहुंचे। राजू को मंदबुद्धि होने के कारण कोई नौकरी नहीं देता था। तब उसने भीख मांग कर अपना गुजारा करना शुरू कर दिया। उसका कहना था कि ‘लोगों के पास हर वक्त खुले पैसे नहीं होते हैं, इस कारण हमने डिजिटल के तरीके से पैसा लेना शुरू किया, जिससे मेरी कमाई भी बढ़ गई। राजू पीएम मोदी के डिजिटल से काफी खुश था और उन्हीं से प्रभावित होकर इस तरह से भीख मांगने का तरीका अपनाया। वहीं वह खुद को लाल यादव का बड़ा फैन भी बताता था। एक वक्त था जब वह लालू यादव की नकल भी करता था और आसपास जहां भी लालू यादव का कार्यक्रम होता था, राजू वहां पहुंच जाता था। लालू यादव ने उसके लिए दो वक्त के खाने का भी रेलवे में पास बनवाया था, जिससे उसे दिक्कत नहीं होती थी। जानकारी के मुताबिक, वह लगभग पिछले 30 सालों से भीख मांग रहा था। बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले इस शख्स का दावा था कि वह बिहार का ही नहीं, बल्कि भारत का पहला डिजिटल भिखारी है। लोग अगर खुदरा पैसा नहीं देते थे, तो वह अपना क्यूआरकोड दिखाकर उनसे पैसा लेता था।
