पटना पुलिस लाइन में 21 गाड़ियों की बैटरी चोरी, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
पटना। राजधानी पटना के पुलिस लाइन कैंपस से 21 गाड़ियों की बैटरी चोरी होने की घटना ने प्रशासन को हैरत में डाल दिया है। जिस जगह को सबसे सुरक्षित माना जाता है, वहीं पर इस तरह की वारदात ने पुलिस की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस लाइन वह इलाका है जहां हजारों पुलिसकर्मी, दारोगा और अन्य अधिकारी रहते हैं। यही नहीं, यहां पटना के एसएसपी और एसपी का कार्यालय भी है। बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश यहां पूरी तरह निषेध है। इसके बावजूद, कैंपस में खड़ी 21 गाड़ियों की बैटरी चोरी हो जाना सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलता है। पुलिस लाइन की ये गाड़ियां एक निजी ट्रैवल एजेंसी से किराए पर ली गई थीं। इन गाड़ियों का उपयोग पुलिस के दैनिक कार्यों के लिए किया जाता था। हाल ही में जब एजेंसी के कर्मचारी अपनी गाड़ियां वापस लेने पहुंचे, तो पता चला कि गाड़ियों की बैटरी गायब हैं। घटना सामने आते ही ट्रैवल एजेंसी ने इसकी शिकायत की। लेकिन पुलिस की ओर से जिम्मेदारी लेने के बजाय, मामला उल्टा एजेंसी पर ही डाल दिया गया। पुलिस लाइन के सार्जेंट मेजर राधाकांत कुमार ने इस मामले में ट्रैवल एजेंसी को ही दोषी ठहराते हुए बुद्धा कॉलोनी थाने में एफआईआर दर्ज कराई। उनका कहना है कि एजेंसी को 2022 में ही गाड़ियां वापस लेने के लिए कई बार नोटिस दिया गया था, लेकिन एजेंसी ने गाड़ियां नहीं लीं।
सीसीटीवी भी फेल
गाड़ियों की बैटरी चोरी की घटना के बाद पुलिस ने जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाला। हालांकि, फुटेज में कोई संदिग्ध गतिविधि नजर नहीं आई। यह और भी हैरान करने वाली बात है, क्योंकि कैंपस में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। सिटी एसपी (मध्य) स्वीटी सेहरावत ने मीडिया को बताया कि गाड़ियों से बैटरी चोरी की एफआईआर दर्ज कर ली गई है और संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। उनका कहना है कि जांच पूरी होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
सवालों के घेरे में पुलिस
इस घटना के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजिमी हैं। पुलिस लाइन, जहां हजारों पुलिसकर्मी रहते हैं, वहां बाहरी व्यक्ति का प्रवेश संभव नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि बैटरी चोरी का यह कारनामा कैसे हुआ? क्या यह किसी अंदरूनी व्यक्ति की मिलीभगत का नतीजा है? बिहार पुलिस का नाम पहले भी ऐसे मामलों में चर्चा में रहा है, जहां अंदरूनी लोगों की संलिप्तता की बात सामने आई है। यह घटना भी उसी दिशा में इशारा कर रही है।
प्रभाव और प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस वारदात ने पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। सवाल यह भी है कि यदि पुलिस अपने कैंपस की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कैसे देगी? पुलिस प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है। जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब मांगने के बावजूद बैटरी चोरी का रहस्य अभी बरकरार है। पुलिस लाइन में 21 गाड़ियों की बैटरी चोरी की यह घटना सिर्फ एक साधारण चोरी का मामला नहीं है। यह सुरक्षा और प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। अगर यह मामला जल्द ही सुलझाया नहीं गया, तो यह न केवल पुलिस प्रशासन की साख को प्रभावित करेगा, बल्कि लोगों के बीच पुलिस की विश्वसनीयता भी कम होगी। जांच की निष्पक्षता और सटीकता ही इस समस्या का समाधान कर सकती है।