मौसम अनुकूल नहीं होने पर वैज्ञानिक खेती से किसान बढ़ायें उत्पादन:डॉ. प्रेम
कृषि मंत्री ने किया कृषि यांत्रिकरण में उद्यमिता विकास विषय पर सेमिनार का उदघाटन
फुलवारीशरीफ। प्रखंड अंतर्गत बामेती में बिहार सरकार के कृषि विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार द्वारा बुधवार को कृषि विभाग एवं सेंटर फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (सीआरडी ) संस्थान के सहयोग से ‘कृषि यांत्रिकरण में उद्यमिता विकास’ विषय पर आयोजित एकदिवसीय सेमिनार का उदघाटन किया गया। इस दौरान मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में अनुकूल मौसम नहीं होने की स्थिति में वैज्ञानिक ढ़ंग से खेती कर एवं उन्नत कृषि यंत्रों को अपनाकर फसल के उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि एक फसल की कटनी के बाद दूसरी फसल के बोने के बीच की अवधि की अंतर काफी कम रहती है। इस अल्पावधि की सदुपयोग हम उन्नत कृषि यंत्रों एवं उपकरणों को अपनाकर यदि नहीं करते हैं तो समय पर अगली फसल की बुआई नहीं हो सकेगी, जिससे फसल की उपज एवं उत्पादकता काफी कम हो जायेगी। मंत्री ने आगे कहा कि कृषि यंत्रों एवं उपकरणों के उपयोग से समय की बचत के साथ-साथ मानव श्रम एवं पैसे की बचत भी हो सकती है। डॉ. कुमार ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कृषि यांत्रिकरण योजनांतर्गत विभिन्न फसलों की बुआई से कटाई तक कृषि यंत्रों पर अनुदान देने के प्रावधान के अंतर्गत वर्ष 2019-20 में कुल 76 प्रकार के विभिन्न कृषि यंत्रों पर अनुदान दी जायेगी। कृषि विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 में यांत्रिकरण सॉफ्टवेयर विकसित की गयी है, जिसके माध्यम से राज्य के कृषक अपनी सुविधानुसार कहीं से भी आॅनलाइन आवेदन कर सकते हैं। बागरी द्वारा‘बागरी जे फार्म सर्विस’ मोबाईल आधारित एप विकसित की गयी है। इस एप की विशेषता यह है कि एक किसान दूसरे किसान को उनकी जरूरत का यंत्र उचित भाड़े पर उपलब्ध करा सकते हैं। यह एप बागरी के कार्य क्षेत्र से आच्छादित राज्य के ग्यारह जिलों में इस संस्थान से जुड़े 34 हजार किसानों के साथ पायलट आधार पर शुरू की गयी है। मंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा सब मिशन आॅन एग्रीकल्चरल मेकेनाईजेशन के अंतर्गत किसान कल्याण अभियान के तहत बिहार में चयनित कुल 13 आकांक्षी जिलों में किसानों को अनुदानित दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने हेतु कुल 3,250 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी थी। मंत्री ने कहा कि नीति आयोग ने पांच क्षेत्रों में 49 संकेतों के आधार पर पूरे देश में जिलों के लिये आधारभूत रैंकिंग शुरू की है, जिसमें स्वास्थ्य और पोषण, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेश और कौशल विकास तथा बुनियादी ढ़ांचा शामिल है। इन्हीं मापदंडों के आधार पर पूरे देश में 115 जिलों को आकांक्षी जिलों के रूप में चिह्नित की गयी है जिनमें 13 जिले बिहार से भी हैं। मंत्री ने कहा कि राज्य के सुदूर क्षेत्र, जहां लघु एवं सीमांत कृषकों की अधिकता है तथा प्रति हेक्टेयर कृषि शक्ति उपलब्धता कम है, वैसे क्षेत्र में कृषि शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से इस योजना को कार्यान्वयन किया जायेगा। इस अवसर पर सीआरडी के चेयरमैन डॉ. अनीस अंसारी, कृषि विभाग के अपर निदेशक (शष्य) धनंजय पति त्रिपाठी, संयुक्त निदेशक, कृषि अभियंत्रण रवींद्र कुमार वर्मा, संयुक्त निदेशक, मुख्यालय संजय कुमार, निदेशक, बामेती डॉ. जितेंद्र प्रसाद, सीआरडी के क्षेत्रीय निदेशक अशोक कुमार सहित राज्य के 25 कृषि यंत्र उद्यमी एवं लगभग डेढ़ सौ किसानगण उपस्थित थे।