बाढ़ में लगातार लापरवाही कर रहे अधिकारी, डीएम-एसपी तो छोड़िए, छोटे बाबू भी नहीं उठाते फोन : तेजस्वी यादव
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पटना। उत्तर बिहार के 16 से अधिक जिले वर्तमान समय में बाढ़ की चपेट में है। बिहार सरकार लगातार बाढ़ नियंत्रण को लेकर काम कर रही है और बाढ़ पीड़ितों को मदद करने का दावा कर रही है इसी बीच शुक्रवार को बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने बाढ़ में अधिकारियों के लापरवाही को लेकर नीतीश के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए बिहार में हावी नौकरशाही का जिक्र किया। तेजस्वी ने एक्स पर एक वीडियों शेयर किया है जिसमें जेडीयू सांसद अधिकारी से गुहार लगाते दिख रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बाढ़ के दौरान अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
वीडियो के माध्यम से हकीकत उजागर
तेजस्वी यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें जेडीयू सांसद वाल्मीकिनगर से अपने क्षेत्र में हो रही बाढ़ की स्थिति पर अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करते दिख रहे हैं। इस वीडियो में सांसद महोदय अपनी बेबसी जाहिर कर रहे हैं कि कैसे वे सुबह से अधिकारियों को फोन कर रहे हैं, लेकिन कोई भी फोन नहीं उठा रहा है। इस वीडियो ने बिहार में अफसरशाही के हावी होने और जनप्रतिनिधियों की बेबसी को उजागर कर दिया है।
अफसरशाही का हावी होना और जनप्रतिनिधियों की बेबसी
तेजस्वी यादव ने इस वीडियो के माध्यम से आरोप लगाया कि बिहार में अफसरशाही पूरी तरह से हावी हो चुकी है और राज्य में अधिकारी जनता और जनप्रतिनिधियों की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह हालत तब है जब एक सांसद अपनी ही सरकार के अधिकारियों से बात नहीं कर पा रहा है। उन्होंने इस घटना को नौकरशाही के बढ़ते प्रभाव और सरकार की लापरवाही का प्रतीक बताया। उन्होंने लिखा कि “यह वाल्मीकिनगर से जेडीयू के सांसद हैं। नौकरशाही से त्रस्त बेचारे सांसद महोदय की बेबसी और बेचारगी देखिए। डीएम-एसपी तो छोड़िए, सुबह से फोन किए जा रहे हैं, लेकिन छोटा बाबू भी फोन नहीं उठा रहा।” तेजस्वी ने यह भी कहा कि सरकार की बदनामी के डर से जनप्रतिनिधि चुप हैं, लेकिन अधिकारियों को किसी भी प्रकार का डर नहीं है। उन्होंने बिहार में ‘डीके-एनके मॉडल’ पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार को अपनी ही पार्टी के नेताओं की भी परवाह नहीं है और न ही उनकी बातों को ध्यान में रखा जा रहा है।
बिहार सरकार पर तीखा प्रहार
तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा और कहा कि “सीएम को तो होश ही नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री न तो अपनी ही पार्टी के नेताओं के फीडबैक पर ध्यान देते हैं और न ही विपक्ष की बातों को गंभीरता से लेते हैं। तेजस्वी का कहना था कि बिहार की ‘डबल इंजन’ सरकार केवल दिखावे के लिए है और राज्य में अफसरशाही का बोलबाला है। इस कारण बाढ़ प्रभावित जिलों के लोग बुरी स्थिति में हैं और उनके लिए कोई भी राहत या सहायता नहीं पहुंच पा रही है।
बाढ़ पीड़ितों की स्थिति और सरकार की असफलता
तेजस्वी यादव ने बाढ़ प्रभावित जिलों की स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण बाढ़ पीड़ितों की स्थिति बेहद दयनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाढ़ के इस संकट में प्रशासन का रवैया पूरी तरह से लापरवाह है और अधिकारी जनप्रतिनिधियों की भी सुनवाई नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में जब जनता को सबसे अधिक मदद की जरूरत है, तब सरकार के अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल साबित हो रहे हैं। तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार केवल घोषणाओं और दावों तक सीमित रह गई है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हो रहा है। बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री, आश्रय स्थल और जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही हैं। उन्होंने इसे ‘नीतीश सरकार की नाकामी’ करार दिया और कहा कि बाढ़ से निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है।
नीति और प्रशासनिक विफलता की झलक
तेजस्वी यादव के इन आरोपों ने राज्य सरकार और प्रशासन की विफलता को उजागर किया है। बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रशासन का मुख्य कार्य होता है कि वह तुरंत राहत पहुंचाए और प्रभावित लोगों को मदद करे। हालांकि, इस घटना ने दिखा दिया है कि प्रशासनिक अधिकारियों में जवाबदेही की कमी है और वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में नाकाम हो रहे हैं। तेजस्वी यादव के आरोपों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में न केवल जनप्रतिनिधियों, बल्कि आम जनता की भी सुनवाई नहीं हो रही है। अफसरशाही के बढ़ते प्रभाव ने राज्य की राजनीतिक व्यवस्था को कमजोर कर दिया है और इसके कारण सरकार के कार्यों पर जनता का भरोसा उठ रहा है। बिहार में बाढ़ की विभीषिका के बीच अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की बेबसी ने राज्य की प्रशासनिक खामियों को उजागर कर दिया है। तेजस्वी यादव के आरोप राज्य में बढ़ते अफसरशाही के प्रभाव और सरकार की नाकामी को दर्शाते हैं। इस संकट की घड़ी में जनता को राहत पहुंचाने के बजाय अधिकारी और प्रशासनिक व्यवस्था केवल दिखावा करने में व्यस्त हैं। बिहार में बाढ़ का प्रभाव कम करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वाह करना होगा। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन जनता की समस्याओं को गंभीरता से लें और बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाएं। केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
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