जदयू के जनसुनवाई कार्यक्रम में फिर नहीं पहुंचे मंत्री, कई कुर्सियां भी रह गई खाली
पटना। लोगों को न्याय दिलाने और उनकी समस्याओं के निदान के लिए जनसुनवाई कार्यक्रम पर लगातार मंत्रियों के गायब रहने से सवाल खड़े हो गए हैं। जदयू के जन सुनवाई कार्यक्रम से लगातार मंत्री गायब दिख रहे हैं। इस वजह से अब फरियादी भी मुंह मोड़ने लगे हैं। आज एक बार फिर जन सुनवाई कार्यक्रम की पड़ताल की गई तो हकीकत सामने निकल कर आ गया। आज जदयू के जन सुनवाई कार्यक्रम में मंत्री श्रवण कुमार, जयंत राज और सुनील कुमार को शामिल होना था। लेकिन, जन सुनवाई में सिर्फ श्रवण कुमार और जयंत राज ही पहुंचे। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार बुधवार को जन सुनवाई कार्यक्रम में पहुंचे ही नहीं थे। इसका साफ असर फरियादियों पर देखा गया। जदयू में आज भी गिने-चुने लोग ही अपनी समस्या लेकर पहुंचे। मंत्रियों के नहीं रहने की वजह से अब जन सुनवाई कार्यक्रम में लोग नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं, जन सुनवाई कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बातचीत में मंत्री श्रवण कुमार ने बिहार मे लगातार हो रही हत्याओं पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमने कभी दावा नहीं किया कि क्राइम को पूरी तरह कंट्रोल कर लिया है। घटनाओं की जांच हो रही है। अपराधी पकड़े जाएंगे। इस सरकार में न किसी को फंसाया जाता है न किसी को बचाया जाता है। नीति आयोग पर जदयू मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व मे हमने अच्छा काम किया केंद्र ने भी मदद दी। हमे केंद्र से और मदद की अपेक्षा है। जेडीयू के जन सुनवाई कार्यक्रम में जदयू का कार्यकर्ता के साथ-साथ कोई भी नागरिक जन सुनवाई में भाग के सकता है। जन सुनवाई में भाग लेने के किए पहलें से किसी तरह की अप्वाइंटमेंट लेने की जरूरत नहीं है। न ही किसी तरह का रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत है। जदयू कार्यालय पहुंचकर कोई भी व्यक्ति अपनी समस्या सुना सकता है। यह जरूरी है कि जिस विभाग के मंत्री हैं, उसी विभाग से संबंधित समस्या होनी चाहिए। ताकि समस्या को आसानी से सुलझाया जा सके। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जदयू कार्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू करने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य यह था कि गांव में रहने वाले लोगों की मुलाकात मंत्रियों से नहीं हो पाती थी। ग्रामीण अपने कामों को लेकर मंत्रियों से मुलाकात के लिए भटकते रहते थे। सीएम नीतीश कुमार ने बड़ी व्यवस्था की शुरुआत करते हुए जन सुनवाई की शुरुआत की। ताकि हर ग्रामीण और मतदाता की पहुंच मंत्रियों तक सीधे आमने-सामने ही सके। ऐसे कार्यक्रम के जरिए लोगों के कामों को त्वरित गति से खत्म किया जा सके। आम नागरिक और मंत्री के बीच की दूरी को खत्म किया जा सके। जन समस्याओं को खत्म किया जा सके।