January 15, 2025

भागवत के बयान पर तेजस्वी का हमला, कहा- पूछे पांच सवाल, मचा सियासी घमासान

पटना। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत को “असली आजादी” 2024 में मिली जब अयोध्या में रामलला की प्रतिमा स्थापित हुई, पर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस बयान को स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान का अपमान बताया। उन्होंने भागवत के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरएसएस ने आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं दिया था, इसलिए अब वे स्वतंत्रता संग्राम में दूसरों के योगदान को छोटा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव का बयान
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर मोहन भागवत और आरएसएस पर तीखे हमले किए। उन्होंने लिखा, आरएसएस प्रमुख का यह कहना कि देश को असली आजादी 2024 में मिली, स्वतंत्रता संग्राम के लाखों बलिदानियों का अपमान है। स्वतंत्रता संग्राम में संघ का कोई योगदान नहीं था। उनके संगठन ने तो अंग्रेजों की मुखबिरी और सहयोग किया था। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि आरएसएस का असली उद्देश्य मेहनतकश, दलित, पिछड़े और कृषक वर्गों के ऐतिहासिक योगदान को कमतर करना है। उन्होंने इसे दलितों और पिछड़ों के अधिकारों को कमजोर करने की साजिश करार दिया।
तेजस्वी ने पांच अहम सवाल उठाए
तेजस्वी यादव ने मोहन भागवत और आरएसएस से पांच बड़े सवाल पूछे, जो जातिगत और सामाजिक न्याय से जुड़े हैं। तेजस्वी ने कहा की दलित-पिछड़ों को असली आजादी कब मिलेगी। 100 वर्षों में आरएसएस का कोई प्रमुख दलित या पिछड़ा वर्ग से क्यों नहीं बना। अब तक किसी महिला को आरएसएस प्रमुख बनने का अवसर क्यों नहीं दिया गया। जातिगत जनगणना कब होगी। दलितों-पिछड़ों के आरक्षण को उनकी आबादी के अनुपात में कब बढ़ाया जाएगा।
स्वतंत्रता संग्राम और आरएसएस की भूमिका पर सवाल
तेजस्वी यादव ने यह भी आरोप लगाया कि आरएसएस ने कभी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान नहीं दिया और अंग्रेजों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि संघ के लोग आजादी के लिए संघर्ष करने वाले लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को छोटा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
आर्थिक मुद्दों पर टिप्पणी
तेजस्वी ने देश की आर्थिक स्थिति पर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि रुपया डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर है, और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश गुलामी की ओर बढ़ रहा है, और इस पर मोहन भागवत को विचार करना चाहिए।
सियासी विवाद की गूंज
भागवत के बयान ने राष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। तेजस्वी के सवाल विपक्षी दलों को नई ऊर्जा देते दिख रहे हैं। यह मुद्दा सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बहस को और तेज कर सकता है। मोहन भागवत के बयान पर तेजस्वी यादव के तीखे प्रहार ने आरएसएस की भूमिका और विचारधारा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह विवाद सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आगामी चुनावों में यह सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना जैसे मुद्दों पर राजनीतिक बहस को और तेज करेगा।

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