भाजपा शासन में बिहार में दलितों पर बढ़ा अत्याचार: आनन्द माधव
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पटना। भाजपा के शासन काल में दलित उत्पीड़न के मामले बिहार में तेजी से बढ़े हैं। आज स्थिति यह है कि बिहार में दलित सांसद पर भी मनबढ़ भाजपाई एवं जदयू कार्यकर्ता जानलेवा हमले कर दे रहे हैं। अनुसूचित आयोग के अनुसार दलित उत्पीड़न में चार शीर्ष राज्यों में सभी भाजपा शासित राज्य हैं। ये बातें बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता एवं चेयरमैन रिसर्च विभाग, आनन्द माधव ने कही। आनन्द माधव ने कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान दलित उत्पीड़न में देश के 1.3 लाख मामलों पर सर्वाधिक यूपी और बिहार में रहें। मतलब साफ है कि भाजपा और उसके गठबंधन ने सबसे ज्यादा दलितों के साथ अन्याय को अपने राज्यों में बढ़ावा दिया है। उन्होंने याद दिलाया कि 18 फ़रवरी को जब एस सी आयोग के राष्ट्रीय चेयरमैन रामशंकर कठेरिया ने बिहार में दलित अत्याचार पर चिंता जतायी थी और कहा था कि देश में दलित अत्याचार का औसत 21 प्रतिशत है जबकि बिहार में यह 42 प्रतिशत है। 2015 से हर साल दलित उत्पीड़न के मामले बढ़ते चले गए हैं। 2018 में दलित अत्याचार के 42792 मामले दर्ज हुए तो 2019 में यह 45,935 हो गया जिसमें 3486 बलात्कार के मामले थे। दलितों पर अत्याचार के मामले में सजा दिलाने का दर 2018 में 42% थी तो 2022 में यह 34% ही रह गई। कुछ ही दिनों पहले नवादा जिले में दलितों के अस्सी घर फूँक दिये गये।दलित उत्थान की बात कहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी दलितों के पांव धोने का ड्रामा करते रहे और उनके ही शासन काल में देश के अंदर और उनके राज्य सरकारों के अंतर्गत दलितों पर अत्याचार बढ़ते गए लेकिन फिर भी फोटोजीवी प्रधानमंत्री ने इस ओर कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। सच तो यह है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार नहीं- महाजंगलराज है।
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