बिहार विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा बयान, कहा- हम इस्तीफा नहीं देंगे, हमारा फैसला विधायक करेंगे
- फ्लोर टेस्ट के दिन विधानसभा अध्यक्ष कर सकते हैं खेला, बयान से फिर बढ़ी राजनीतिक हलचल
पटना। बिहार में राजनीतिक उलट-फेर हुई है। नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन के साथ मिल कर राज्य में सरकार बना ली है। वहीं सरकार बदलने के बाद ही सत्ता पक्ष राजद कोर्ट से बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी से इस्तीफे की मांग कर रही है। वहीं इस्तीफे की मांग को लेकर अवध बिहारी चौधरी ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा है कि, वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि मैं अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं दूंगा। अविश्वास प्रस्ताव का मुझे आज जानकारी मिली है। आगामी बजट सत्र विधानसभा के नियमावली के अनुसार चलाऊंगा। हम नियम से बंधे हैं और नियम के अनुसार कार्यवाही होगी। हमारे पद का फैसला सदन के विधायक करेंगे। 12 फरवरी को अध्यक्ष पद पर फैसला होगा। 12 फरवरी को नए सरकार की फ्लोर टेस्ट है इस दिन नई सरकार अपनी बहुमत साबित करेगी। बता दे कि बिहार में जब से नई एनडीए सरकार का गठन हुआ है तब से बीजेपी और जदयू के लोग सरकार की एकता की बात कर रहे हैं वही विपक्ष भी लगातार सरकार पर हमलावर है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हालांकि अभी तक तो अपने पत्ते नही खुले हैं लेकिन वह लगातार बिहार में खेल होने की बात कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 12 फरवरी को जब बजट सत्र के पहले दिन एनडीए सरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा में बहुमत परीक्षण करेगी तब राजद कोटे से विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी कुछ सदस्यों को अयोग्य करार देते हुए नीतीश कुमार को बहुमत साबित नहीं करने देंगे और फिर बिहार में एनडीए की सरकार गिर जाएगी। हालांकि एनडीए के नेता साफ तौर पर यह कह रहे हैं कि हम लोग आसानी से बहुमत परीक्षण को पास कर लेंगे और खेल करने वाले लोग केवल हमें विपक्ष में बैठकर देखने का काम करेंगे वैसे में बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा बयान इस और इशारा करता है कि बिहार में सियासी उठा पटक के बाद भी बिहार की राजनीति में अभी बहुत कुछ होना शेष है।
विधानसभा अध्यक्ष बहुमत परीक्षण को प्रभावित कर सकते हैं, क्या कहता है नियम
इस संबंध में राजनीति के जानकार बताते हैं कि बहुमत प्रशिक्षण में विधानसभा अध्यक्ष का बड़ा योगदान होता है। नियम के अनुसार, राज्य में जब सियासी संकट बन जाता है तब फ्लोर टेस्ट यानी बहुमत साबित करने की स्थिति बनती है। सीएम को विधानसभा में यह साबित करना होता है कि पार्टी विधायक उसके साथ हैं। राज्यपाल मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहते हैं। जो भी पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित करने में सफल साबित होती है, राज्यपाल उस पार्टी के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करते हैं। यदि मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट में विश्वास मत जुटाने में असफल साबित होते हैं तो उन्हें इस्तीफा देना होता है। फ्लोर टेस्ट से पहले सभी पार्टियां विधायकों को हर हाल में विधानसभा में पेश होने के लिए व्हिप जारी करती हैं। कोई भी विधायक यदि व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है।
संवैधानिक प्रक्रिया है फ्लोर टेस्ट
फ्लोर टेस्ट करना एक संवैधानिक प्रक्रिया है। विधानसभा हो या संसद दोनों में फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया एक जैसी होती है। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं। राज्यपाल की इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की दखलअंदाजी नहीं होती। वह केवल मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने का आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट दो तरह का सामान्य और कम्पोजिट होता है। सामान्य फ्लोर टेस्ट तब होता है जब कोई राजनीतिक दल या गठबंधन के नेता को सीएम बनाया जाता है और उसे विश्वास मत साबित करना होता है। या राज्यपाल को लगता है कि सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है। ऐसे हालत में मुख्यमंत्री फ्लोर टेस्ट के जरिए विश्वास मत को साबित करते हैं। कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट की नौबत तब आती है जब एक से ज्यादा नेता सरकार बनाने के लिए दावा पेश करते हैं। राज्यपाल इसके लिए विशेष सत्र बुलाते हैं। सदन में विधायक खड़े होकर या हाथ उठाकर वोट करते हैं।
किस पार्टी के पास कितने विधायक
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के पास सर्वाधिक 79 विधायक हैं। कांग्रेस के 19 और वामदलों के 16 विधायक हैं। इस तरह से महागठबंधन दल के कुल 114 विधायक हो रहे हैं। दूसरी तरफ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के 78, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड के 45, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा- सेक्युलर के चार विधायक हैं। इनके अलावा, एक निर्दलीय विधायक नीतीश कुमार के साथ पिछली महागठबंधन सरकार में भी थे, अब भी हैं। इस तरह, सत्ता पक्ष की संख्या 128 हो रही है। एनडीए के 128 के मुकाबले अभी विपक्ष के 114 विधायक सामने हैं। असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के पास एक विधायक हैं, जो किसी तरफ नहीं हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 122 है। मतलब, सत्ता के पास छह विधायक ज्यादा हैं और विपक्ष के पास आठ कम। इस तरह से माना जा रहा है कि फ्लोर टेस्ट के दौरान नीतीश सरकार को कोई परेशानी नहीं होगी। यह एक तरह से कोरम पूरा करना है।