‘खुद से पूछें’ अभियान लाएगी रंग : क्यों है बिहार की महिलाओं को सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवा की जरुरत
पटना। पटना में महिलाओं के लिए उचित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हमेशा एक चिंता का विषय रहा है। महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में काफी बढ़ोतरी हुई है, फिर भी देखभाल की गुणवत्ता, विशेष रूप से गरिमापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के बारे में संवाद का स्तर लगभग शून्य है, अर्थात न के बराबर बात होती है। महिलाओं और युवा लड़कियों के साथ अक्सर असम्मानजनक व्यवहार किया जाता है, उनके बारे में धारणाएं बनायी जाती हैं और जब वे स्वास्थ्य केंद्रों पर जाती हैं तो उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इन सेवाओं को हासिल करते हुए औरतें और युवा लड़कियों को अक्सर एक पूर्वानुमान या फिर अपमान से गुजरना पड़ता है, कई बार उन्हें सही सलाह भी नहीं मिलती है। इसकी वजह से न केवल जानकारी की होती है बल्कि एक असुरक्षित माहौल भी तैयार होता है जिसकी वजह से कई स्त्रियों को सही इलाज और समुचित देखभाल भी नहीं मिल पाती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के नेतृत्व में ‘खुद से पूछें’ अभियान शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य पटना की महिलाओं को ‘गरिमा के साथ देखभाल’ की असली परिभाषाओं से अवगत करवाना और इसे अपने स्तर पर बेहतर समझना है, साथ ही सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवा के बारे में उनकी कहानियों और अनुभवों को आवाज देना है।
यह एक सहभागी अभियान है, जिसके माध्यम से महिलाएं खुलकर बात करना, मानना और कमी को समझना जान पाएंगी। अभियान पूरे बिहार की 18-30 आयु वर्ग की महिलाओं को आनलाइन फॉर्म भर कर या +91 7632897424 पर व्हाट्सएप मैसेज भेजकर कार्यक्रम में आवेदन करने के लिए और एम्बेसडर बनने के लिए आमंत्रित कर रहा है। महिलाओं के एक समूह का चयन किया जा रहा है और उन्हें अपनी नेतृत्व, सह-रचना तथा कहानी कहने के कौशल का निर्माण करने वाली कई कार्यशालाओं में आमंत्रित किया जा रहा है। चुनी गयीं ये एम्बेसडर सम्मानजनक ‘स्वास्थ्य देखभाल सेवा’ हासिल करने की दिशा में बातों की शुरूआत करके सकारात्मक बदलाव लाने के लिए शुरू किये गये इस आंदोलन का नेतृत्व करेंगी। अभियान के अंतर्गत पूरे पटना में रोड शो, संवाद, नुक्कड़ नाटक, वर्कशॉप आदि आयोजित किये जा रहे हैं, जिसमें नेशनल स्कूल ड्रामा के कलाकारों की भी भागीदारी है।
बता दें 10 सितंबर को पटना वीमेन कॉलेज में पहली वर्कशॉप, 11 सितंबर को पटना के श्री साईं कॉलेज आफ नर्सिंग एंड परमेडिकल में दूसरी और 18 सितंबर को अरविंद महिला कॉलेज की छात्राओं के साथ तीसरी वर्कशॉप आयोजित की गयी थी।
डॉक्टर किसी के भी स्वास्थ्य देखभाल में कमी नहीं करें
पटना कॉलेज की मिताली प्रसाद ने अपने साथ हुई घटना का जिक्र करते हुए यह सुझाव दिया कि डॉक्टर को मरीज के साथ सही से पेश आना चाहिए, पर साथ ही मरीज को भी डॉक्टर के साथ सही से व्यवहार करना चाहिए। मिताली ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं में लोगों से गलत व्यवहार, गलत इलाज का सुझाव और अधिक पैसे नहीं वसूलने चाहिए। साथ ही साईं कॉलेज आॅफ नर्सिंग एंड परमेडिकल की मानवी का कहना था कि जो मरीज अच्छे कपड़े में आता है, जिसके पास ज्यादा पैसा होता है, डॉक्टर उसे अच्छे से बर्ताव करते हैं। मगर जो गरीब होते हैं, डॉक्टर उनके साथ ना ठीक से पेश आते हैं ना सही से बर्ताव करते हैं। कपड़े और पैसे के अभाव में डॉक्टरों द्वारा किसी के भी स्वास्थ्य देखभाल में कमी नहीं होनी चाहिए।
‘गरिमा एक्सप्रेस’ रोड शो से दस हजार महिलाएं जुड़ी
इस अभियान में पांच दिन के रोड शो का आयोजन भी किया गया जिसमें शामिल आॅडियो वैन ‘गरिमा एक्सप्रेस’ पटना वीमेन्स कॉलेज, बोरिंग रोड, पटना यूनिवर्सिटी, गांधी मैदान, हथवा मार्केट, पटना मार्केट और फ्रजर रोड समेत बीस अलग-अलग जगहों से गुजरी और दस हजार से ज्यादा महिलाओं से जुड़ीं। रोड शो में कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किये और हर व्यक्ति को भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे दर्शकों का ध्यान स्वास्थ्य सेवा में सम्मान की आवश्यकता और उपयोगिता की ओर खींचे।
ये संस्था कर रही अगुवायी
महिलाओं के नेतृत्व में सामूहिक आंदोलन के रूप में विकसित किए गए खुद से पूछें अभियान की अगुवायी सखी, गौरव ग्रामीण महिला विकास मंच और पटना स्थित युवा समूह अशोक यंग चेंज मेकर द्वारा की जा रही है। इस अभियान को अन्य संगठनों जैसे बिहार्ट, सेंटर फॉर कैटलाइसिंग चेंज, पॉपुलेशन फाउंडेशन आॅफ इंडिया, कॉलेजों और अन्य समूहों से भी समर्थन मिल रहा है।
क्या बदलाव लाएगा “खुद से पूछें”
खुद से पूछें अभियान महिलाओं को संवेदनशील स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों को समझने और उस खातिर स्पष्ट आवाज उठाने की दिशा में उठाया गया पहला कदम है और इसका मकसद है महिलाओं को बदलाव लाने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाना। जैसे सबसे पहले मुद्दे को समझना, उसपर चर्चा करना और फिर हर संभव माध्यम से पहल करना। इस अभियान में महिलाओं को ऐसे विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का मौका मिल रहा है, जिन मुद्दों का उनके जीवन पर प्रभाव पड़ता है। साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा पटना की महिलाएं डिजिटल किस्सागोई के गुर सीख रही हैं ताकि वे स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में अपनी बात कह सकें, साथ ही इसका प्रसार सोशल मीडिया, सार्वजनिक कार्यक्रमों अथवा किसी अन्य स्त्री से बात करते हुए कर सकें।