एनडीए सरकार के गठन के बाद आज पहली बार बिहार आएंगे अमित शाह, पालीगंज में जनसभा को करेंगे संबोधित
पटना। एनडीए की सरकार बनने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज पहली बार बिहार आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के मुताबिक वे लगभग 1 बजे पटना आएंगे, जहां से वे जगदेव पथ स्थित आईसीएआर परिसर में दिवंगत कैलाश पति मिश्र की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके बाद पटना के पालीगंज के कृषि फॉर्म हाउस ग्राउंड में अमित शाह पिछड़ा-अतिपिछड़ा महा सम्ममेलन में शामिल होंगे। यहां वे 2 बजे जनसभा को भी संबोधित करेंगे। यहां से शाह तीन लोकसभा क्षेत्र पाटलीपुत्र, जहानाबाद और आरा की 12 विधानसभा सीटों को साधेंगे। अमित शाह पटना में 4 घंटे रहेंगे। पार्टी का दावा है कि तीनों क्षेत्र से लगभग 1 लाख से ज्यादा लोग रैली में शामिल होंगे। इन दो लोकसभा क्षेत्रों में भले सांसद भाजपा के हैं, लेकिन आरा की दो सीटों को छोड़ दें तो पाटलिपुत्रा और जहानाबाद में एक भी विधायक भाजपा के नहीं हैं। अमित शाह के इस कार्यक्रम को रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। पालीगंज तीन लोकसभा क्षेत्र पाटलीपुत्रा, आरा और जहानाबाद के सेंटर में है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मानें तो पालीगंज की रैली का असर इन तीन लोकसभा क्षेत्रों के 13 सीटों पर कम से कम पड़ेगा। लेकिन जिस पालीगंज में बीजेपी की तरफ से ओबीसी रैली का आयोजन किया जा रहा है, वो पूरा इलाका सवर्णों का है। खास कर भूमिहारों का। पालीगंज, बिक्रम, मसौढ़ी, नौबतपुर जैसे इलाके को पटना में भूमिहारों का बेसिन कहा जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी यहां से रैली आयोजित कर क्या मैसेज देना चाहती है? इस सवाल पर पॉलिटिकल एक्सपर्ट नलिन वर्मा कहते हैं कि भूमिहारों के वोट के साथ एक बड़ी संख्या में यहां ओबीसी की भी आबादी है। इस इलाके को लालू प्रसाद यादव के साथ लेफ्ट की भी पकड़ है। शाह की कोशिश है कि वे अपनी रैली के माध्यम से लालू और लेफ्ट के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकें। भूमिहार के गढ़ में रैली कर वे एक साथ ओबीसी और सवर्ण दोनों को मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं। अमित शाह सितंबर 2022 से लगातार बिहार में एक्टिव हैं। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद उन्होंने सितंबर 2022 में पूर्णिया से चुनावी कैंपेन का आगाज किया था। इसके बाद उन्होंने पटना, बेतिया, सारण, नवादा, लखीसराय, झंझारपुर, मुजफ्फरपुर, वैशाली में सभा कर चुके हैं। आखिरी बार दिसंबर 2023 में पूर्वी जोन की मीटिंग के लिए शाह बिहार आए थे। तब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। हालांकि उस बैठक में भी सीएम नीतीश कुमार शामिल हुए थे। उस बैठक में भी सीएम ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी।