December 21, 2024

शनिवार को रवि योग में मनेगी अक्षय नवमी, स्नान-दान से मिलेगा अक्षय फल

पटना। कार्तिक शुक्ल नवमी दिन शनिवार को अक्षय नवमी या आंवला नवमी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस पर्व पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। इस बार अक्षय नवमी पर सिद्धि योग, आनंद योग के साथ रवि योग का विशेष फलदायी संयोग बन रहा है। आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व होता है। साथ ही पुत्र रत्न की प्राप्ति हेतु इस नवमी पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना कर दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अन्य दिनों की तुलना में नवमी पर किया गया दान-पुण्य कई गुना अधिक लाभ दिलाता है।

कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि इस दिन आंवले के वृक्ष को दूध चढ़ाना फलदायी माना जाता है। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता के अनुसार त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था। इस दिन दान, व्रत व भगवान विष्णु के स्वरूप आंवला के वृक्ष की पूजा करने का विधान है। चूंकि आंवला का पेड़ कई औषधि और कई कार्यों में इस्तेमाल होता है। इसके महत्व को देखते हुए इसकी पूजा की जाती है। आंवला को आयु और आरोग्य वर्धक भी माना जाता है। पंडित झा ने बताया कि अक्षय नवमी से कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवला में वास करते हैं। कार्तिक मास में वैसे तो स्नान का अपना ही महत्व होता है, लेकिन इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

इन पर पड़ेगा प्रभाव

ज्योतिषी पंडित राकेश झा शास्त्री के अनुसार विष्णु पुराण में आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव का वास बताया गया है। जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित है अथवा सूर्य कमजोर या सूर्य शत्रु राशि में रहता है उन जातकों को आंवले के पेड़ के नीचे दस दिन तक भगवान विष्णु को दीपक जलाना चाहिए। इससे दोषों से मुक्ति मिलती है।

ये है खास महत्व

पटना के ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजन, तर्पण, अन्न तथा वस्त्र दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का नियम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अतिप्रिय है, क्योंकि इसमें लक्ष्मी का वास होता है। इस दिन व्रत करने से शादीशुदा औरतों की सभी मनोकामना पूरी होती है।

आंवला वृक्ष पूजा का शुभ मुहूर्त

आंवला या अक्षय नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6.45 बजे से दोपहर 11.54 बजे है। वहीं अभिजित मुहूर्त दोपहर 11: 13 बजे से 11:56 बजे तक है। पंडित झा के अनुसार जिन दंपतियों का वैवाहिक जीवन कष्ट पूर्ण चल रहा हो, वह इस दिन प्रभु श्री कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। आर्थिक संकटों और कर्ज से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को हलवे का भोग लगाना चाहिए।

अक्षय नवमी पर ऐसे करे पूजा

इस दिन गुप्त दान करना बेहद शुभ माना जाता है। आंवला के पेड़ के नीचे 10 दिनों तक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। परिक्रमा कर उसमे रक्षासूत्र बांधकर एवं दीप जलाकर मनोकामना मांगी जाती है। इसी पेड़ के नीचे बैठकर व्रती खाना भी खाती हैं। यह तिथि बहुत ही शुभ होती है। इसलिए इस दिन से कई शुभ काम शुरू किए जाते हैं। नवमी के दिन जगद्धात्री पूजा होती है। इस दिन जल में आंवले का रस मिलाकर नहाने से जातक के ईर्द-गिर्द जितनी भी नेगेटिव ऊर्जा होगी वह स्वतः नष्ट हो जाती है । सकारात्मकता ऊर्जा और पवित्रता में वृद्धि होती है ।

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