घरेलू एयरलाइंस पर आईटी मंत्रालय सख्त, डाटा शेयर करना अनिवार्य, निर्देश जारी
नई दिल्ली। भारत सरकार ने घरेलू एयरलाइनों के लिए टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान मौसम डेटा भारतीय मौसम विभाग के साथ साझा करना अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। इस संबंध में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ मिलकर चर्चा शुरू की है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. रविचंद्रन ने बताया कि इस प्रक्रिया को अगले एक साल में लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एयरलाइनों द्वारा यह डेटा साझा करना सिर्फ उनके ऑपरेशन्स के लिए ही नहीं, बल्कि देशभर में मौसम पूर्वानुमान को सटीक बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मौसम पूर्वानुमान मुख्यतः विभिन्न स्थानों से एकत्रित किए गए पर्यवेक्षण डेटा पर निर्भर करता है। रविचंद्रन ने इसे चुनावी एग्जिट पोल से तुलना करते हुए बताया कि जैसे अलग-अलग स्थानों से एकत्रित डेटा से चुनावी परिणामों की एक स्पष्ट तस्वीर मिलती है, वैसे ही मौसम डेटा से पूर्वानुमान को सटीकता मिलती है। इस दिशा में भारतीय मौसम विभाग ने पहले से ही विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान, आर्द्रता और हवा के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए 50-60 स्टेशनों पर मौसमी गुब्बारे लॉन्च किए हैं। इसके अलावा, विमानों द्वारा टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान भी मौसम संबंधी डेटा रिकॉर्ड किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर चलने वाले विमानों के लिए ऐसा डेटा साझा करना अनिवार्य है, लेकिन घरेलू विमानों पर अभी तक ऐसी कोई बाध्यता नहीं है। रविचंद्रन ने बताया कि कई देशों में घरेलू एयरलाइंस के लिए भी यह डेटा उपलब्ध कराना अनिवार्य है। भारत में भी इस तरह की व्यवस्था लागू करने की जरूरत है ताकि मौसम पूर्वानुमान को अधिक सटीक और व्यापक बनाया जा सके। इस पहल का उद्देश्य अधिकतम स्थानों से तापमान, आर्द्रता और हवा जैसी सूचनाएं जुटाना है। यह कदम न केवल भारत के मौसम पूर्वानुमान तंत्र को सशक्त बनाएगा बल्कि नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भी सुरक्षा और ऑपरेशनल क्षमता को बेहतर करेगा। घरेलू एयरलाइंस के लिए इस पहल को लागू करना एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।