साइबर अपराधियों ने एआई को बनाया ठगी का नया हथियार, पटना में रिश्तेदार की आवाज निकाल 98 हज़ार उडाये

पटना। वर्तमान में साइबर ठगी का नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है। अब साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से दोस्तों और रिश्तेदारों की आवाज में बात कर मेडिकल इमरजेंसी के बहाने लोगों को चपत लगा रहे हैं। हर महीने इस तरह की दर्जनों शिकायतें बिहार की साइबर पुलिस को मिल रही है। पटना के साइबर डीएसपी ने लोगों से अपील की है कि अनजान नंबर से फोन आने पर सच्चाई जानने के बाद ही रुपयों का लेन-देन करें। पटना के पुनाईचक में रहने वाले अरुण कुमार के पास बीते दिनों एक अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को उनका रिश्तेदार बताया। उसकी आवाज रिश्तेदार से मिल रही थी। बातचीत में उसने कहा कि परिवार का एक सदस्य अस्पताल में भर्ती है, रुपये की जरूरत है। विश्वास कर पीड़ित ने ऑनलाइन 98 हजार रुपये उसके नंबर पर भेज दिए। रुपये भेजने के बाद जब पीड़ित ने रिश्तेदार से बात की तो ठगी का अहसास हुआ।
बुद्धा कॉलोनी में भी 75 हजार की ठगी
इसी तरह की घटना बुद्धा कॉलोनी के उदयसेन के साथ घटी। बीते दिनों एक शख्स ने फोन कर कहा कि वह उनका दोस्त रमेंद्र बोल रहा है। उसकी आवाज भी दोस्त से मिल रही थी। आगे कहा कि उसका जानकार अस्पताल में भर्ती है और वह पेमेंट काउंटर पर खड़ा है। उसका ऑनलाइन पेमेंट काम नहीं कर रहा है। इसलिए एक नंबर पर रुपये भेजने को कहा। उदयसेन ने 75 हजार रुपये भेज दिए। बीते दिनों डिजिटल अरेस्ट का भय दिखा लगातार साइबर फ्रॉड की घटनाएं सामने आ रही थीं। लेकिन अब एआई की मदद से ठग परिचितों की आवाज निकालकर ठगी का काम करने लग गए हैं। पिछले दिनों पटना विश्वविद्यालय की सेवानिवृत महिला प्रोफेसर से तीन करोड़ 70 लाख रुपये की सबसे बड़ी साइबर ठगी हुई थी। साइबर ठगों ने इसी प्रकार से अन्य दर्जनों लोगों को भी लाखों की चपत लगाया था। इन घटनाओं के बाद दूरसंचार विभाग ने जागरूकता के लिए कॉलर टयून शुरू की थी। साइबर थाना डीएसपी राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट के डर से शिकायत फिलहाल साइबर थाने में नहीं आ रही है।

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