यूनिफाइड पेंशन स्कीम का पटना में शुरू हुआ विरोध, 2 सितंबर से काला पट्टी बांधकर काम करेंगे कर्मचारी
पटना। केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम का विरोध बिहार से शुरू हो गया है। बिहार के कर्मचारी संघ ने इसे उल्टा-पुलटा पेंशन स्कीम नाम दिया है। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े कर्मचारी केंद्र सरकार से ओल्ड पेंशन स्कीम को हू-ब-हू लागू कराने की मांग कर रहें है। इससे नीचे इन्हें कुछ और नहीं चाहिए। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के नेताओं ने फैसला लिया है कि हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। यह जारी रहेगा। 2 सितंबर से 6 सितंबर तक कर्मचारियों का ब्लैक वीक की घोषणा की है। मूवमेंट से जूड़े कर्मी काला पट्टी बांधकर सरकारी काम करेंगे। यूपीएस का विरोध करने की सबसे बड़ी वजह है कि कर्मचारियों और सरकार के अंशदान को जब्त करना। न्यू पेंशन स्कीम में दस फीसदी हिस्सा कर्मचारी का जमा हो रहा है और सरकार अपने हिस्से से कर्मियों को पेंशन फंड में 14 फीसदी राशि जमा कर रही है। रिटायरमेंट के वक्त यह राशि जोड़कर भुगतान की जाती है, जिसे यूपीएस में जब्त करने का प्रावधान किया गया है। ओपीएस और एनपीएस में बीस साल की सर्विस लेंथ पर पेंशन का प्रावधान रहा है। यूपीएस में इसे 25 साल कर दिया गया है। ओपीएस में सेवानिवृत के वक्त कर्मचारियों को जमा जीपीएफ की राशि मिलती थी। वहीं अब यूपीएस में रिटायरमेंट के वक्त एक कर्मी को कम से कम दस लाख रुपए का नुकसान है। पेंशनधारी की उम्र 80 साल और 95 साल पूरा करने के बाद पेंशन राशि में इजाफा का प्रावधान नहीं होना। पेंशनभोगी को पेंशन का हिस्सा नहीं बेच सकते। पुरानी पेंशन स्कीम में यह प्रावधान था। ओपीएस में कर्मियों को कुल पेंशन राशि को 40 फीसदी बेचने का प्रावधान था। बिहार में एनपीएस के दायरे में लगभर 11 लाख कर्मचारी हैं। बिहार सरकार में ही शिक्षकों की संख्या 6.5 लाख है, तो सरकारी सेवक की संख्या 3.75 लाख है। सेंट्रल कर्मचारियों की संख्या की बात करें तो यहां इनकी संख्या 60 हजार के पास है। केंद्र सरकार के देश भर में 23 लाख कर्मचारी एनपीएस के दायरे में हैं। इन कर्मियों में काफी रोष देखा जा रहा है। मूवमेंट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिरुद्ध बतातें हैं कि सरकार की यह स्कीम उल्टा पुल्टा स्कीम है। कर्मचारियों को सिर्फ ओपीएस चाहिए। वह भी हू-ब-हू। इससे आगे और पीछे कुछ नहीं चाहिए। सरकार को कर्मियों के हित में ओपीएस को लागू करना चाहिए। यूपीएस सरकारी सेवक के हित में नहीं है। यूपीएस में कुछ भी स्पष्टता नहीं है। यूपीएस से सरकारी कर्मियों को आर्थिक नुकसान है। वहीं मूवमेंट के प्रदेश अध्यक्ष वरूण पांडेय कहते हैं कि ओपीएस जितना मजबूत यूपीएस नहीं है। कई खामियां है। केंद्र सरकार को सरकारी सेवकों के हित में बड़े फैसले लेने की जरूरत थी। मूवमेंट से जुड़े नेता शशिभूषण राज्य सरकार को भी जिम्मेदार मान रहें है। राज्य सरकार को ओपीएस पर विचार करने की जरूरत है। हर राज्य सरकारी सेवक की मांग पर ध्यान दे।