December 22, 2024

एनएमसीएच कांड पर रोहिणी आचार्य का सरकार पर हमला, प्रदेश में डबल इंजन फेल, चूहा बना मैस्कॉट

पटना। बिहार की राजधानी पटना स्थित नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में मरीज की मौत के बाद उसकी एक आंख गायब होने की घटना ने राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में दावा किया है कि चूहे ने मरीज की आंख कुतर दी है। यह मामला अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है, और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता रोहिणी आचार्य ने इसे लेकर राज्य की डबल इंजन सरकार पर तीखा हमला बोला है। नालंदा जिला के चिकसौरा थाना क्षेत्र के हुरारी गांव निवासी 25 वर्षीय फंटूस को अपराधियों ने गोली मार दी थी। घायल फंटूस को नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। अगले दिन, रहस्यमयी परिस्थितियों में उसकी एक आंख गायब पाई गई। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अस्पताल परिसर में चूहों की संख्या बढ़ गई है, और संभवतः चूहों ने मृतक की आंख को कुतर दिया। यह बयान जहां अस्पताल की व्यवस्थाओं की पोल खोलता है, वहीं इस घटना ने बिहार के स्वास्थ्य तंत्र और सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की बेटी और पार्टी की सक्रिय नेता रोहिणी आचार्य ने इस घटना पर सोशल मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने चूहे को बिहार की “फेल डबल इंजन सरकार” का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह चूहा ही सरकार के खोखले दावों की पोल खोल रहा है। चूहा बड़बोलों की सरकार के तमाम खोखले दावों की पोल कुतर कर खोल देता है। चूहा और अनैतिक गठबंधन वालों की करतूतें भी एक समान हैं। उन्होंने चूहे को सरकार का “मैस्कॉट” करार देते हुए आरोप लगाया कि डबल इंजन की सरकार बिहार की जनता के साथ छलावा कर रही है। उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली और प्रशासन की नाकामी को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए। अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन यह घटना एनएमसीएच की अव्यवस्थाओं और राज्य के स्वास्थ्य ढांचे की खामियों को उजागर करती है। चूहों की समस्या का समाधान न होना और मृतकों की उचित देखभाल में लापरवाही प्रशासनिक विफलता का उदाहरण है। अस्पताल में सुरक्षा और स्वच्छता की कमी ने इस घटना को और भी भयावह बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और प्रबंधन की विफलता का नतीजा है। इस घटना के बाद राज्य की राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इसे राज्य सरकार की विफलता बताते हुए नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जोड़ी को घेरा है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी इस मामले में सरकार की आलोचना करते हुए इसे डबल इंजन सरकार की नाकामी करार दिया है। यह घटना न केवल राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गई है, बल्कि आम जनता में भी आक्रोश का कारण बनी है। लोग स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और अस्पतालों में बेहतर व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं, सरकार ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण घटना” बताते हुए कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एनएमसीएच कांड ने बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों को उजागर किया है। इस घटना से सरकार पर दबाव बढ़ गया है कि वह अस्पतालों में स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए। इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केवल नीतियां बनाना ही पर्याप्त नहीं है; उनकी प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी भी जरूरी है। बिहार की जनता उम्मीद करती है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो।

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