सरकारी स्कूलों में बच्चों का बनेगा आधार कार्ड, 22 लाख होंगे लाभान्वित, 15 दिनों का दिया गया लक्ष्य
पटना। बिहार सरकार ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए आधार कार्ड निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने का बड़ा कदम उठाया है। राज्य में कुल 1.80 करोड़ नामांकित छात्रों में से लगभग 22.77 लाख बच्चों के पास अभी तक आधार कार्ड नहीं है। यह स्थिति सरकारी योजनाओं के लाभ से इन बच्चों को वंचित कर रही है। सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों की भूमिका की समीक्षा की और अब जिलाधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। शिक्षा विभाग ने बच्चों के नाम और विवरणों की सूची जिलाधिकारियों को भेजी है। यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया गया है कि इन बच्चों के आधार कार्ड बनाए जाएं और उनकी प्रविष्टि ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर की जाए। इस कार्य को प्राथमिकता देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने जिलाधिकारियों से इसे 15 दिनों के भीतर पूरा करने का अनुरोध किया है। आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र की जटिलता है। जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया समयसाध्य और जटिल होने के कारण कई बच्चों का आधार कार्ड समय पर नहीं बन पा रहा है। इसे देखते हुए, प्रत्येक प्रखंड के दो उच्च माध्यमिक विद्यालयों में आधार पंजीकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों पर बच्चों के आधार कार्ड निर्माण की प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की अधिकांश योजनाएं आधार कार्ड से जुड़ी होती हैं। इन योजनाओं का लाभ केवल उन्हीं बच्चों को मिल सकता है जिनका आधार कार्ड बना हुआ है। इसके साथ ही, सभी बच्चों का डेटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज करना अनिवार्य है, ताकि योजनाओं का सही और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित किया जा सके। बिहार सरकार का यह कदम न केवल बच्चों को योजनाओं का लाभ दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि यह उनके शैक्षिक और सामाजिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का माध्यम भी है। आधार कार्ड बच्चों की पहचान के लिए आवश्यक है और इसके माध्यम से उन्हें विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। जिलाधिकारियों और आधार केंद्रों के समन्वय से इस कार्य को समय पर पूरा करने की उम्मीद की जा रही है। आधार कार्ड निर्माण से बच्चों के विकास और उनके शैक्षणिक जीवन में नई संभावनाएं जुड़ेंगी। साथ ही, यह पहल बिहार में सरकारी योजनाओं के सही और लाभकारी वितरण को सुनिश्चित करने में सहायक होगी। यह प्रयास न केवल सरकारी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि बच्चों के भविष्य को संवारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सरकार का यह कदम शिक्षा और सामाजिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।