सोन नद पर कदवन डेम का निर्माण व नहरों की आधुनिकीकरण के लिये होगा आंदोलन: डॉ. श्यामनन्दन

पालीगंज। अनुमंडल सह प्रखंड के सोन नद पर कदवन डेम व नहरों की आधुनिकीकरण के लिये किया जायेगा आंदोलन। उक्त बात हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह किसान महासभा के नेता व पालीगंज के प्रख्यात चिकित्सक डॉ. श्यामनन्दन शर्मा पालीगंज के किसान भवन में अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से बुधवार को आयोजित अनुमंडलस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा। मौके पर बैठक में हजारों किसान नेता सहित किसानों ने भाग लिया। इस दौरान आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते डॉ. श्यामनन्दन शर्मा ने बताया कि सोन नहर प्रणाली से आज बिहार के भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर, औरंगाबाद, अरवल, गया तथा पटना के 9.96 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। इस वर्ष इन महत्वपूर्ण नहरों में पानी नहीं दी गयी। जिससे खेतों में धान की फसल नहीं लग सकी और बिहार सरकार की पूर्व निर्धारित योजना के तहत कदवन डेम निर्माण कराने के बजाए इंद्रपूरी बराज में पानी नहीं होने का रोना रो रही है वहीं नहरों को आजतक आधुनिकीकरण नहीं की गयी। मौके पर धरहरा पंचायत के पूर्व मुखिया चंद्रसेन वर्मा ने बताया कि यदि सोन नद पर कदवन डेम का निर्माण व नहरों की आधुनिकीकरण नहीं की गयी तो किसान गोलबंद होकर चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। मौके पर अखिल भारतीय किसान महासभा के पटना जिला सचिव कृपा नारायण सिंह, उपाध्यक्ष मंगल प्रसाद तथा माले के राज्य कमिटी सदस्य अनवर हुसैन, आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के राज्य सचिव टीएन आजाद, शिवकुमार सिंह, योगेंद्र शर्मा, चंद्रसेन वर्मा, डॉ. श्यामनन्दन शर्मा, कमलेश शर्मा के अलावे हजारों किसान नेता व प्रखंड के वरिष्ठ लोग उपस्थित थे। ज्ञात हो कि बिहार की सोन नहर प्रणाली दुनिया की बहुत पूरानी नहर प्रणालियों में एक जानी जाती है जहां वर्ष 1850 ई. के बाद से अंग्रेजों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बढ़नी शुरू हो चुकी थी जो वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन के रूप में उभरकर आयी। इसके बाद वर्ष 1853 ई. में डीएच डेकेन्स सोननद पर इंद्रपुरी बराज बनाने और सोन नहर के निर्माण के अनुशंसा करते हुये कहा था कि इससे किसानों के भीतर अंग्रेजों के खिलाफ बढ़ रहे आक्रोश को दूर किया जा सकता है। इस पर भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के गवर्नर जनरल द्वारा वर्ष 1855 में कर्नल डीएच डेकेंस के प्रस्ताव के पास कर दिया। वहीं वर्ष 1861 में सर्वेक्षण कार्य पूरा हुआ और वर्ष1868 में सोन नहर प्रणाली बनाने का कार्य आरंभ हुआ तथा वर्ष 1872 में अंग्रेजों ने सोन नद पर डेहरीआनसोन के समीप इंद्रपुरी बराज का निर्माण कार्य शुरू करवाया। जिसे तैयार होने पर पहली बार वर्ष 1877 में सोन नहरों में पानी छोड़ी गयी थी वहीं जल संरक्षण के लिये स्थिति को देखते हुए सोन नद में कदवन डेम निर्माण कराने की योजना पास की गयी थी।
