बिहार में विकास नहीं दिखता तो विपक्ष दृष्टिदोष का इलाज कराए: राजीव
पटना। विपक्ष के बड़बोले नेताओं को यदि बिहार में चैदह वर्षों में हर क्षेत्र में हुआ अभूतपूर्व विकास नहीं दिखता है तो उन्हें दृष्टिदोष का इलाज कराना चाहिए। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने सड़क निर्माण की बतौर बानगी मानकर राजद के नेताओं पर पलटवार करते हुए पूछा है कि क्या उन्हें 2005 के पहले राज्य की सड़कों की बदहाली याद है जब लोग मजाकिया लहजे में कहते थे कि गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्डा! उस दौर से बिहार निकल कर जहाँ पहुँचा है उसका श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देने के बजाय बाल की खाल निकालने वाले लोगों को जनता के कोप का बार बार शिकार होना पड़ा है। श्री प्रसाद ने कहा कि 2005 में सत्ता संभालने के बाद अगले वर्ष ही नीतीश कुमार के नेतृत्व में हमारी सरकार ने राज्य में गुणवत्ता वाली सड़कें बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था ताकि प्रदेश के किसी भी जिले से राजधानी पटना पहुंचने में 5 घंटे से अधिक का समय नहीं लगे स इस लक्ष्य को हमने प्राप्त कर लिया है। श्री प्रसाद ने कहा कि राज्य में हुए विकास को नकारना विपक्ष को पहले भी भारी पड़ा है। बिहार के हरेक गांव को पक्की सड़कों से जोड़ा गया है। टोला संपर्क योजना के तहत प्रत्येक टोला को पक्की सड़कों से जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत 250 तक की आबादी वाले बसावट को पक्की सड़कों से जोड़ा गया है। वर्ष 2006 से अबतक सड़क पर 1.19 लाख करोड़ से भी अधिक राशि खर्च की गई है। वर्ष 2018-19 में ग्रामीण व पथ निर्माण विभाग की सड़कों पर 17 हजार करोड़ खर्च की गई थी। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सड़क निर्माण के लिए 5,536 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है।
श्री प्रसाद ने कहा कि साल 2006 से अब तक मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना के तहत 4689 से भी अधिक बड़े पुल बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब तक करीब सात हजार किलोमीटर से भी अधिक ग्रामीण सड़कें बनाई जा चुकी हैं। सड़क निर्माण के साथ-साथ सड़कों के रखरखाव के लिए सरकार ने नीति बनाई गई है। हमारी सरकार ने अब सड़क निर्माण के लिए 7 वर्षों की मेंटेनेंस की पाॅंलिसी बनाई है। इससे पहले ये सिर्फ 5 वर्षों की थी। इससे सड़कों की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहेगी।
जदयू प्रवक्ता के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018 में कुल 1236 किलोमीटर पथों का निर्माण किया गया। वही 2019-20 में 2485 किलोमीटर पथों के निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया है। वही इस बार रोड एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई है। वर्ष 2005 में 3624 किमी. एनएच था, जो अब 5343 किमी. से अधिक हो गया है। उसी तरह एसएच 2177 किमी. था, जो अब बढ़कर 4005 किलोमीटर हो गया है।
श्री प्रसाद ने कहा कि बीते 13 सालों में नाबार्ड के सहयोग से 12093 करोड़ की लागत से 393 पुल योजनाओं का क्रियान्वयन किया गया। राज्य सरकार ने 2005-2019 तक 12433 करोड़ की लागत से 2160 योजनाओं को सफलतापूर्वक गुणवत्ता सहित निर्माण किया है। इसी के साथ ही 2205 परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि सड़क निर्माण के बिहार माॅंडल को देश के अन्य राज्य भी अपना रहे है और बिहार के इस माॅंडल की प्रशंसा पूरे देश में ही रही है।