वैदिक मंत्रोच्चार के बीच चैत्र नवरात्र शुरू : घर-घर विराजी मां दुर्गा, पहले दिन हुई शैलपुत्री की पूजा
पटना। शनिवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में कलश स्थापना के साथ वासंतिक नवरात्र शुरू हो गया। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा हुई। गंगा मिट्टी में जौ डालकर उसके ऊपर कलश स्थापना कर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देवी का आवाह्न कर षोडशोपचार से पूजा की गयी। मंदिरों में पुरोहित द्वारा विशेष पूजा-अर्चना कर स्तुति पाठ के बाद आरती हुई। घरों में श्रद्धालु ने भी सीमित संसाधनों में भगवती की आवाहन-पूजन किया गया। दुर्गा सप्तशती, कील, कवच, अर्गला, दुर्गा चालीसा, रामचरितमानस, सुंदरकांड, विशेष मंत्र जाप भी कल संकल्प के साथ शुरू हो गया, जो चैत्र शुक्ल महानवमी 10 अप्रैल को हवन, पुष्पांजलि के साथ संपन्न होगा। इसी के साथ विक्रम संवत 2079 का आरंभ भी हो गया।
ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में चैत्र नवरात्र आरंभ
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि रेवती नक्षत्र व ऐन्द्र योग में चैत्र नवरात्र आरंभ हुआ। इस नवरात्र में चार सर्वार्थ सिद्धि, सात रवियोग तथा एक रविपुष्य योग का शुभ संयोग बनेगा। वासंतिक नवरात्रि में मकर राशि में न्यायप्रिय शनि, मंगल के साथ कुंभ राशि में गुरु व शुक्र की युति, मीन में सूर्य, बुध का गोचर, मेष में चंद्रमा व वृष राशि में राहु तथा वृश्चिक में केतु का संक्रमण रहेगा। ग्रहों की इस स्थिति से जातकों के पराक्रम में वृद्धि, सिद्धिकारक, कार्य में सफलता, मनोकामना की पूर्ति व साधना में सिद्धि मिलेगी।
9 को महाष्टमी व महानवमी 10 को
आचार्य राकेश झा के अनुसार चैत्र नवरात्र के आठवें दिन 9 अप्रैल को रवियोग में महाष्टमी का व्रत किया जाएगा। इस दिन माता का विशेष श्रृंगार, पकवान का नैवैद्य, वस्त्र-श्रृंगार प्रसाधन अर्पित होगा। वहीं चैत्र शुक्ल नवमी दस अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग में नव दुर्गा ने नवम स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा-पाठ के समापन के बाद माता के उपासक हवन, पुष्पांजलि के बाद कन्या पूजन करेंगे। इसी दिन रामनवमी का पावन पर्व भी मनाया जाएगा।