PATNA : पटना लॉ कॉलेज में नामांकन पर लगी रोक, जानिए पूरा मामला
पटना। पटना विश्वविद्यालय में जब इंटर की पढ़ाई होती थी, तो पटना लॉ कॉलेज में 14 शिक्षकों के पद थे। इंटर की पढ़ाई समाप्त होते ही शिक्षकों के छह पदों को सरेंडर कर दिया गया था, जबकि लॉ कॉलेज में इंटर की पढ़ाई भी नहीं होती थी। ऐसे में कॉलेज में शिक्षकों की संख्या कम हो गयी। अब शिक्षकों की कमी को लेकर परेशानी है। वर्तमान में प्राचार्य के अलावा कॉलेज में आठ शिककों के पद हैं, उनमें भी दो खाली हैं। 900 छात्रों को सिर्फ छह शिक्षक पढ़ाते हैं, अगर सरेंडर पदों को फिर से बहाल किया जाये और सिर्फ टाइम शिक्षकों के पदों को फुल टाइम कर नियमित किया जाये, तो कॉलेज की समस्या दूर हो सकती है। विवि ने सरकार को प्रस्ताव भेजा भी है, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में है। वहीं इधर कॉलेज की मान्यता को लेकर संकट है।
स्टेट बार काउंसिल सिर्फ नियमित शिक्षकों को ही शिक्षक मानता है और 900 छात्र के अनुसार कॉलेज में प्राचार्य के अलावा कम से कम 23 शिक्षक चाहिए। विवि में सरेडर पदों व पार्ट टाइम शिक्षकों के पदों को ही फुल टाइम नियमित शिक्षक के पदों मे तब्दील कर दिया जाये तो कॉलेज की समस्या दूर हो सकती है। क्योंकि विवि को सिर्फ 17 और नियमित शिक्षक चाहिए। शिक्षकों की कमी से ही वर्तमान सत्र मे नामांकन के लिए अब तक कॉलेज को मान्यता नहीं मिली है। बार काउंसिल के द्वारा कॉलेज के सीटों को 300 से घटाकर 120 करने का प्रस्ताव न्यायालय में दिया था। हालांकि अभी उस पर निर्णय नहीं हुआ है और मामला न्यायालय में चल रहा है। शिक्षकों की कमी की वजह से ही उच्च न्यायालय ने पूरे राज्य के ही लॉ कॉलेजों के नामांकन पर रोक लगा रखी है।
इस मामले में पटना लॉ कॉलेज के प्राचार्य मो. शरीफ कहते हैं कि बार काउंसिल के नियमानुसार हर 40 छात्र पर एक शिक्षक चाहिए। इस प्रकार विवि को प्राचार्य के अलावा कुल 23 शिक्षकों की जरूरत है, जबकि वर्तमान में प्राचार्य के अलावा केवल छह शिक्षक ही है। दो पद खाली है। 17 अतिरिक्त पदों पर बहाली की आवश्यकता है। यह प्रस्ताव सरकार को भेजा हुआ है।