सत्ता का विकेन्द्रीकरण की जगह हो रहा केन्द्रीकरण : कांग्रेस

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* ‘16 साल की यात्रा: विकेन्द्रीकरण से तबाही तक’ नामक डॉक्यूमेंट का विमोचन
* पार्टी राज्य के गांव-गांव में पहुंचाएगी दस्तावेज


पटना। बिहार कांग्रेस के रिसर्च विभाग द्वारा बिहार पंचायत चुनाव के मद्देनजर तैयार किया गया ‘16 साल की यात्रा: विकेन्द्रीकरण से तबाही तक’ नामक डॉक्यूमेंट का विमोचन कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर डॉ. झा ने कहा कि जिस उद्ेश्य के लिए पंचायती राज की कल्पना बापू महात्मा गांधी ने की थी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जिन्हे साकार करने का प्रयास किया था, वह अब भी अधूरा है। ग्राम स्वराज एक कोरी कल्पना रह गई है। सत्ता का विकेन्द्रीकरण की जगह केन्द्रीकरण हो रहा है। पंचायत प्रतिनिधि अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। रिसर्च विभाग द्वारा तैयार किया गया यह दस्तावेज पार्टी राज्य के गांव-गांव में पहुंचाएगी।
आप सब दिल्ली नहीं, गांव की ओर जाए
वहीं इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस का यह मानना है कि जो निर्णय जिस वर्ग को प्रभावित करे, वह निर्णय उसी स्तर पर लिया जाना चाहिए। लेकिन वास्तव में हो कुछ और रहा है। सारे निर्णय दिल्ली या पटना के स्तर पर होते हैं और उसे पंचायत प्रतिनिधियों पर थोप दिया जाता है। सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को सामाजिक समता से जोड़कर उसमें महिला, दलित, आदिवासी आरक्षण से जोड़ कर देखा जाना चाहिये। दल के कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हुए कहा कि आप सब दिल्ली नहीं, गांव की ओर जाएं और पंचायत चुनाव में हिस्सा लें।
वर्तमान सरकार ने विकेंद्रीकरण के नाम पर तबाही को अंजाम दिया
अपने स्वागत भाषण में रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनन्द माधव ने कहा कि इस डॉक्यूमेंट में हमारा प्रयास यह दर्शाने का रहा है कि किस तरह से 16 साल में वर्तमान सरकार ने विकेंद्रीकरण के नाम पर तबाही को अंजाम दिया है। गांधी जी के स्वशासन की कल्पना सिर्फ कोरी कल्पना ही रह गई है, क्योंकि उनका मानना था कि सुशासन कभी भी स्वशासन के बिना आ नहीं सकता है। यह सुशासन नहीं कुशासन है, जो हर चीज को लाभ की दृष्टि से देखती है। इसबार सभी चार महत्वपूर्ण पदों पर ईवीएम के माध्यम से मतदान होना है। यह उन अनुचित व्यवहारों की ओर संकेत करता है जो हो सकते हैं और व्यापक रूप से मतदाता की पसंद को प्रभावित करेंगे। इस संबंध में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई हैं, निर्णय की प्रतीक्षा है।
क्या यह हो रहा है? जवाब है, नहीं
एमएलसी प्रेमचंद मिश्र ने कहा कि पंचायत हमारी बुनियाद है, जो खोखली होती जा रही है। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 1993 को 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के आधार पर पारित किया गया था। जिला, मध्यवर्ती और ग्राम स्तर पर पंचायतों के गठन को स्वशासन की संस्थाओं के रूप में अनिवार्य करता है और सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के लिए कार्यक्रमों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए शक्तियों और जिम्मेदारियों के बंदोबस्त का प्रावधान करता है, पर क्या यह हो रहा है? जवाब है, नहीं।
इन्होंने भी विचार रखें
इस अवसर पर पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा, पूर्व एमएलसी लाल बाबू लाल, नागेन्द्र कुमार विकल, प्रो. शशि कुमार सिंह, राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के चेयरमैन असफर अहमद, सोशल मीडिया विभाग के चेयरमैन सौरभ कुमार, वरीय नेत्री संयुक्ता सिंह, सुधा मिश्रा, शशि रंजंन, आशुतोष शर्मा, प्रत्यूष गौरभ, राहुल रंजन आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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