गंभीर मरीजों को पटना एम्स नहीं उपलब्ध करा पा रहा आईसीयू बेड, लोगों को भटकना पड़ रहा, एम्स के निदेशक ने खड़े किए हाथ
फुलवारी शरीफ (अजीत)। कोरोना के मामले में कमी आने के बाद इमरजेंसी व गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए शुरू हुई एम्स पटना की इमरजेंसी एंड ट्रामा विभाग की सारी बेड भर हो चुकी है।
ऐसे में बिहार में मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने का सरकार का दावा खोखला साबित हो रहा है। सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन हकीकत यह है कि बिहार स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमराई हुई हैं।
लोग अपने बीमार परिजन को लेकर अस्पतालों के चक्कर लागते फिर रहे हैं लेकिन उन्हें अस्पतालों में भर्ती करने से यह कहकर इनकार कर दिया जा है कि गंभीर मरीजो के लिए जरूरी आईसीयू और वेंटिलेटर सुविधाओं वाली बेड खाली नहीं है।
हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं लेकिन कोई जिम्मेवार अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे हैं। गौरतलब हो कि दिल्ली के बड़े-बड़े अस्पतालों में गंभीर रुप से ग्रस्त मरीजों को भर्ती व इलाज कराने पहुंचने वालों में सबसे अधिक बिहार व आसपास के राज्यों के भीड़ को कम करने के इरादे से सरकार ने बिहार में पटना एम्स की स्थापना की थी।
बिहार के गरीब परिवार के मरीजों को सस्ते दर पर बेहतर इलाज और अत्याधुनिक चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के इरादे से स्थापित एम्स पटना गंभीर रूप से बीमार मरीजों को आईसीयू व वेंटिलेटर की सुविधाओं से सुसज्जित एक अदद बेड मुहैया नहीं करा पा रहा है।
एम्स पटना में आईसीयू व वेंटिलेटर की सुविधाओं वाले कूल 85 बेड कई दिनों से फुल हो चुके हैं, जिससे गंभीर मरीजों को एम्स पटना अस्पताल में भर्ती कराने बिहार व समीपवर्ती राज्यों के विभीन्न जिलों से आने वालो को बैरंग लौट जाना पड़ रहा है।
गंभीर रूप से बीमार मरीजों को बेहतर इलाज की आस में दूर दराज के जिलों से लेकर आने वाले परिवार को राजधानी पटना में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में बीमार मरीजों को भर्ती कराने के लिए भटकना पड़ रहा है।
मुंगेर के मनियारचक से मां को एम्स में भर्ती कराने दो दिन पहले आधी रात पटना पहुंचे मनीष कुमार को एम्स पटना से यह कहकर लौटा दिया गया की मरीज को ब्रेन हेम्ब्रेज हुआ है जिनकी हालत नाजुक है। बीमार मरीजो के लिए एम्स में वेंटिलेटर वाली बेड खाली नहीं है।
मुंगेर से अपनी बीमार मां पुतुल देवी को इलाज कराने की उम्मीद लगाए आधी रात एम्स पटना पहुंचे मनीष कुमार को ब्रेन हेम्ब्रेज से ग्रस्त मां को भर्ती कराने एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकना पड़ा। इस दौरान उनकी बीमार मां एंबुलेंस में ही अपनी सांसे गिनती रही।
मनीष बताते हैं कि काफी मशक्कत के बाद पीएमसीएच में किसी तरह अपनी मां को भर्ती कराए। जहां पीएमसीएच में जनरल वार्ड में ऑक्सीजन कि सुविधा वाली एक बेड उपलब्ध हो पाई । हालांकि पीएमसीएच में मरीजों की भीड़ में गंभीर मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है।
इसके बाद मनीष कुमार एम्स पटना में ही अपनी बीमार मां को भर्ती कराने की कोशिश में जुटे है लेकिन अभीतक कोई आश्वासन तक नहीं मिला। गंभीर रूप से बीमार मरीजो को भर्ती कराने एम्स पटना से बैरंग लौटने वाले मनीष कुमार ऐसे अकेले नही हैं बल्कि ऐसी परेशानी से गुजर रहे रोजाना दर्जनों लोग पटना में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर लगाते फिर रहे हैं।
गंभीर रूप से बीमार मरीजों को एम्स पटना वेंटिलेटर युक्त बेड उपलब्ध नहीं कराने को लेकर एम्स पटना के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने हाथ खड़े कर दिए। एम्स निदेशक ने कहा कि एम्स में 85 बेड वेंटिलेटर युक्त हैं जो सभी मरीजों से फूल हैं ऐसे में वो क्या कर सकते हैं।
एम्स इमरजेंसी एंड ट्रामा सेंटर हेड डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को एम्स में भर्ती नहीं किया जा सकता है जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत है। इमरजेंसी विभाग में ऐसे मरीजों के परिजन का कॉन्टैक्ट नंबर लिख लिया जाता है और जब वेंटिलेटर युक्त बेड खाली होता है तो उन्हें कॉल किया जाता है।