सिस्टम पर सवाल : तीन माह गुजर जाने के बावजूद टूटे लोहा पुल की अब तक मरम्मती क्यों नहीं, नौनिहाल जान जोखिम में डाल स्कूल आने-जाने को मजबूर
फतुहा। सिस्टम कितना सुस्त व मंद है इसकी बानगी फतुहा में ब्रिटिश काल का बना लोहा का पुल है। महीनों बीत जाने तथा सरकारी आश्वासनों के बाद भी टूटे लोहा पुल की मरम्मती अब तक नहीं की गई है। नतीजा यह है कि इन दिनों नौनिहाल अपने स्कूल आने-जाने के लिए इस टूटे लोहा पुल से गुजरने को मजबूर हैं। यह एक दिन की बात नहीं है बल्कि कोरोना संकट से उबरने के बाद स्कूल खुल जाने पर हर दिन की यह वाक्या है। बच्चे सड़क पर खतरे को देख तथा अधिक दूरी तय करने से बचने के लिए इस टूटे लोहा पुल के रास्ते ही स्कूल आ-जा रहे हैं। ईश्वर न करे, इन नौनिहालों के साथ कुछ हो। लेकिन सिस्टम को टूटे लोहा पुल से गुजरते मजबूर नौनिहालों पर नजर नहीं पड़ रही है।
समसपुर के ग्रामीणों की माने तो जब बच्चे इस टूटे लोहा पुल से गुजरते हैं तो दिल दहल जाता है। लेकिन सिस्टम से गुहार लगाते-लगाते लोग थक चुके हैं। विदित हो कि इस वर्ष बीते 20 मई को कभी एनएच 30 का हिस्सा रहा ब्रिटिश काल का बना लोहा पुल एक भारी वाहन के गुजरने पर टूट गया था। इससे पुनपुन नदी के पार रहने वाली घनी आबादी प्रभावित है। लोग फत्हा बाजार आने-जाने के लिए मजबूरी में दो किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर आने-जाने को मजबूर हैं और बच्चे इसी टूटे लोहा पुल के रास्ते स्कूल आने-जाने को मजबूर हैं।