November 8, 2024

बिहार में साढ़े चार महीने बाद खुले पहले से आठवीं तक के स्कूल, कई स्कूलों में न के बराबर रही बच्चों की उपस्थिति

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पटना । बिहार में साढ़े चार महीने के बाद सोमवार से पहली से आठवीं तक के स्कूल खुले गए हैं। सरकार के आदेश पर एक लाख प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में क्लास आज से शुरू हो गया है। हालांकि परिजनों में कोरोना का काफी डर है। इससे कम ही अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति दी है। कई स्कूलों में बच्चे न के बराबर हैं।

बिहार सरकार ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि स्वतंत्रता दिवस के अगले कि16 अगस्त से पहली से आठवीं तक के स्कूल खुल जाएंगे। यही नहीं सरकार ने स्वतंत्रता दिवस पर रविवार को भी बच्चों को झंडोत्तोलन समारोह में बुलाने को कहा था।

लेकिन सरकार के इस आदेश पर कोरोना का डर भारी पड़ रहा है। पहले दिन अधिकतर सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रही। निजी स्कूलों में भी काफी कम बच्चे पढ़ने आए।

बिहार सरकार के निर्देश पर सोमवार से प्रदेश के 72 हजार सरकारी प्रारंभिक विद्यालय खुल गए हैं लेकिन स्कूलों में फिलहाल मिड डे मील नहीं मिलेगा।

उधर, राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कई स्कूल नहीं खुल सके हैं। इन स्कूलों में पानी भरा है। लिहाजा वहां पढ़ाई शुरू करने के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा।

स्कूलों को खोलने की अनुमति के साथ ही बिहार सरकार ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर प्रोटोकॉल के सख्ती से पालन के निर्देश दिए हैं।

शनिवार को सभी जिलों के समाहर्ता व जिला शिक्षा अधिकारियों की वर्चुअल मीटिंग में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने आदेश दिया था कि विद्यालयों में कोरोना प्रोटोकाल का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाए।

इस बैठक में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा था स्कूलों में शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए टीके के दोनों डोज जरूरी हैं। उन्होंने कहा था कि प्रदेश के विद्यालय अब पूरे समय तक चलने चाहिए। उन्होंने शिक्षा विभाग के सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को नियमित रूप से विद्यालयों के निरीक्षण का आदेश भी दिया था।

उन्होंने कहा था निरीक्षण के क्रम में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विद्यालयों में कक्षाओं के संचालन में कोरोना प्रोटोकाल और साफ-सफाई का पालन सुनिश्चित हो रहा हो। इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

शिक्षा मंत्री ने विभागीय अधिकारियों से शिक्षकों के बकाए वेतन के भुगतान और अन्य समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर समाधान करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को किसी भी हालत में कार्यालयों का चक्कर लगाने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए। यह अधिकारियों की जिम्मेदारी है।

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