पश्चिम बंगाल में लेफ्ट व कांग्रेस का बुरा हाल, जानिए उनके सीटों की स्थिति
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सेंट्रल डेस्क । पश्चिम बंगाल की लड़ाई भाजपा व तृणमूल कांग्रेस के बीच की होकर रह गई। हालांकि दोनों दलों में सीटों का अंतर 100 से अधिक है। मतों की गिनती के पहले चरण से ही माकपा सहित अन्य वामपंथी दल और कांग्रेस काफी पीछे चल रही है। इस चुनाव में वाम दलों के सबसे चर्चित उम्मीदवार और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष आइशी घोष भी पश्चिम बर्दवान जिले के जमुरिया सीट से चुनाव हार चुकी हैं।
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मालदा और मुर्शिदाबाद जिला, जो कि एक दशक पहले तक कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, के सभी सीटों पर टीएमसी आगे चल रही है। बंगाल की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी (51.27%) वाले मालदा में कांग्रेस पार्टी पिछड़ गई। वहीं, सुजापुर में, जहां 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम, खान चौधरी के भतीजे ईशा खान चौधरी टीएमसी के अब्दुल गनी से चुनाव हार गए हैं।
मौसिम नूर, ईशा खान चौधरी के चचेरे भाई और जिला टीएमसी अध्यक्ष ने गनी के लिए प्रचार किया था। सुजापुर में ही जन्मे और कोलकाता में बड़े होने वाले गनी ने कहा, ह्लममता बनर्जी ने मुझ पर अपना विश्वास रखा। कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया।”
मुर्शिदाबाद में, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम आबादी (66.28%) सभी जिलों में सबसे अधिक है। कांग्रेस को यहां मुख्य दावेदार माना जाता था। इतना ही नहीं मुर्शिदाबाद राज्य कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य अधीर चौधरी का गृह क्षेत्र है। कांग्रेस यहां भी प्रदर्शन नहीं कर सकी।
मुर्शिदाबाद में तीन बार के कांग्रेस विधायक मनोज चक्रवर्ती बरहमपुर सीट पर पीछे चल रहे थे। उन्होंने टीएमसी के नरगोपाल मुखर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनावों में मुर्शिदाबाद में 22 विधानसभा क्षेत्रों में से 18 में टीएमसी भाजपा से आगे थी। बेरहामपुर अपवादों में से एक था। चक्रवर्ती चौधरी के करीबी सहयोगी हैं।
मुर्शिदाबाद के जंगीपुर से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के उम्मीदवार प्रदीप कुमार नंदी और समसरगंज से कांग्रेस के उम्मीदवार रेजुल हक का इस महीने की शुरूआत में कोविद -19 से निधन हो गया था। इन निर्वाचन क्षेत्रों में सोमवार को मतदान होना था, लेकिन चुनाव आयोग ने दो मई को परिणाम घोषित किए जाने के दो सप्ताह बाद तारीख 16 मई तय कर दी।
हुगली जिले में दिग्गज कांग्रेस नेता और निवर्तमान विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान चंपादानी में पीछे थे। मन्नान ने 1991 से चार बार सीट जीती थी। माकपा के उम्मीदवार भी पीछे चल रहे थे। दक्षिण 24 परगना जिले के रायडीह में, पूर्व मंत्री और माकपा के दिग्गज कांति गांगुली टीएमसी से बहुत पीछे थे।