झारखंड के वकील अब इस तारीख तक नहीं जा पाएंगे कोर्ट, जानें इसकी वजह
रांची । राज्य के वकील अब दो मई तक किसी भी अदालती कार्य में शामिल नहीं होंगे। वर्चुअल और फिजिकल किसी भी माध्यम से कोर्ट में शामिल नहीं होंगे । किसी भी न्यायिक कार्य के लिए वकीलों को न्यायालय कक्ष में जाने पर रोक रहेगी। रविवार को झारखंड राज्य बार कौंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड बार कौंसिल 19 अप्रैल से ही वकीलों को अदालती कार्य से खुद को अलग रखने का आदेश दिया है। पहले यह रोक 19 से 24 अप्रैल तक थी। रविवार को हुई कौंसिल की बैठक में यह रोक एक सप्ताह तक और बढ़ाने का निर्णय लिया गया और दो मई तक इसकी अवधि बढ़ा दी गयी।
बार कौंसिल की रविवार को हुई बैठक में कहा गया कि राज्य में कोरोना संक्रमण चरम पर है। संक्रमण की दर में कमी नहीं आयी है और संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई वकील, उनके परिजन और अधिवक्ता लिपिक अभी भी संक्रमित हो रहे हैं। अस्पतालों में सभी व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। समुचित इलाज नहीं हो रहा है। ऐसे में वकीलों को बच कर रहना जरूरी है। जानकारी के अनुसार बार कौंसिल की बैठक में सभी सदस्यों ने अपने विचार रखें। 17 में से 13 सदस्य रोक की अवधि एक सप्ताह तक बढ़ाने पर सहमत दिखे, जबकि चार इस पर पूरी तरह सहमत नहीं दिखे।
बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि यह निर्देश राज्य के सभी वकीलों के लिए है। इस निर्णय की जानकारी सभी जिलों के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को पत्र के माध्यम से दी जा रही है। वहीं उन्होंने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट में कोरोना वायरस सबंधित अगर किसी याचिका पर सुनवाई हुई तो उस याचिका से संबंधित अधिवक्ता न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकते हैं। लेकिन इसके अलावा अन्य किसी भी मामले में अधिवक्ता अदालत में उपस्थित नहीं होंगे। अगर कोई भी वकील कौंसिल के इस निर्देश की अवहेलना करता है तो उसपर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।