बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आनन्द माधव ने चुनाव आयोग से की मांग, पंचायत चुनाव हो स्थगित
पटना। बिहार में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता व रिसर्च विभाग और मैनिफेस्टो कमेटी के चेयरमैन आनन्द माधव ने चुनाव आयोग से मांग की है कि स्थिति सामान्य होने तक बिहार में पंचायत चुनाव को स्थगित रखा जाए । राजनीतिक रैलियों ने इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा कहर ढाया है। उन्होंने कहा कि समाचारों से यह पता चल रहा है कि बिहार में चुनाव आयोग पंचायती राज चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करने की तैयारी कर रहा है। संभवत: जून 2021 में चुनाव हो सकता है। माधव ने कहा कि ना सिर्फ़ कोरोना के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है बल्कि इससे लगातार मौतें भी हो रही हैं।
बिहार में एक लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, सक्रिय मामलों की संख्या 25 हजार के आस-पास पहुंच चुका है व सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना के इस दूसरी लहर में कोई नहीं बच पा रहा । वरीय प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर, जन प्रतिनिधि, आम जनता सभी कोरोना के शिकार हो रहे हैं और उनकी मौतें हो रही है। वहीं दूसरी ओर अस्पतालों में आॅक्सीजन सिलेंडर की घोर कमी ,रेमिडिविसिवर इंजेक्शन की कमी ,कंसल्वेन्ट प्लाजमा और हॉस्पिटल में बेड की भयानक कमी है। पूरे बिहार की स्थिति गंभीर है।
ऐसे में अगर पंचायत चुनाव कराया जाएगा तो ये महामारी कितनों को लील जाएगी इसका अंदाजा लगाना भी कठिन है। इसीलिए चुनाव आयोग अपने विशेष अधिकार का उपयोग करते हुए बिहार पंचायत चुनाव को कम से कम छह महीने के लिये आगे बढ़ा दे। विदित हो कि उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी वहां पंचायत चुनाव को आगे बढ़ाने की अपील की है। पांच राज्यों में जहां चुनाव है, वहां कोरोना से होने वाली मौतों में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
अगर हम कोरोना के बढ़ते मामले को देखें तो पता चलता है कि पं. बंगाल में 420 प्रतिशत, असम में 532, केरल में 103, तमिलनाडु में 165 और पुडुचेरी में 169 प्रतिशत कोरोना के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। ऐसे में बिहार में पंचायत चुनाव कराना एक आत्मघाती कदम होगा। हम सब बिहार की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था से पूरी तरह से अवगत हैं। प्रदेश सरकार को भी इस मामले में चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पंचायत चुनाव को फिलहाल टालने की अपील करनी चाहिए। चुनाव या उत्सव कुछ महीने ठहर सकता है क्योंकि जनता की जान से अधिक कीमती कुछ नहीं है।