BIHAR : संघर्षरत किसानों पर किये जा रहे दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ 2 दिसंबर को वामदल मनाएंगे एकजुटता दिवस
पटना। वामपंथी दलों सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई (माले) लिबरेशन ने संयुक्त रूप से अगामी 2 दिसंबर को केन्द्र सरकार द्वारा संघर्षरत किसानों पर किये जा रहे दमनात्मक कार्रवाईयों के खिलाफ प्रतिरोध एवं किसानों की मांगों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। संवाददाता सम्मेलन में सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार, भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय के अलावा अरुण मिश्रा, केडी यादव, रामबाबू कुमार आदि नेता मौजूद थे।
उक्त नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार ने अत्यन्तं ही विनाशकारी कृषि कानूनों को पारित कर देश के उपर थोप दिया है। संसद से लेकर खेतों-खलिहानों तक इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर व्यापक स्तर पर प्रतिरोध फूट रहे हैं। पिछले दो महीनों से पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश तथा देश के हर राज्यों के किसान आंदोलनरत हैं। सरकार की हठधर्मिता से आजिज आकर किसानों ने दिल्ली को जोड़ने वाले तमाम उच्च पथों को जाम कर दिया है। वे शांतिपूर्ण ढ़ंग से अपनी मांगों को रखने के लिये रामलीला मैदान या जंतर मंतर जाना चाहते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मन की बात में कृषि कानूनों की तारीफों के पुल बांधनें का काम किया है, जो संघर्षरत किसानों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।
केंन्द्र सरकार न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्रों को देशी-विदेशी कारपोरेट के हाथों सौप रही है, बल्कि जमीन तथा तमाम प्राकृतिक संसाधन भी कंपनियों के हाथों में सौंपकर देश पर कंपनी राज थोपना चाहती है। वामपंथी दलों ने बिहार की जनता से अपील किया कि वे 2 दिसम्बर को संघर्षरत किसानों के उपर हो रहे दमन के खिलाफ प्रतिरोध एवं संघर्ष के साथ एकजुटता प्रदर्शित करें।
वहीं नेताओं ने यह भी कहा कि बिहार में किसानों के धान की खरीद नहीं हो रही है। किसान उन्हें आने-पौने कीमतों पर बेचने को मजबूर हैं। मांग किया कि बिहार में न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के साथ सभी स्तरों पर क्रय केंन्द्र खोलकर किसानों से धान खरीदा जाय।