December 22, 2024

ANALYSIS-सांप्रदायिकता बढ़ी तो एनडीए छोड़ महागठबंधन में चले जाएंगे सीएम नीतीश कुमार!

पटना।बिहार में सातवीं बार मुख्यमंत्री पद के आसीन नीतीश कुमार संभवत: पहली बार ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं। जब सरकार में उनकी पार्टी की स्थिति बहुत मजबूत नहीं है।2005 से लेकर 2020 तक पहली बार ऐसी स्थिति बनी है।जब नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू के पास भाजपा के अपेक्षाकृत काफी कम विधायक हैं। चुनाव पूर्व किए गए वायदे के मुताबिक भाजपा ने भी जदयू को कम सीटें मिलने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बना दिया।इस बार विधानसभा में भाजपा के 75 सीटें हैं, वहीं जदयू के हिस्से मात्र 43 सीटें हैं। जीतन राम मांझी तथा मुकेश सहनी के पार्टी हम तथा वीआईपी के चार- चार विधायकों के बदौलत इस सरकार को 243 सीट वाली विधानसभा में 125 विधायकों का बहुमत हासिल है। कल 17 वीं विधानसभा के पहले दिन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायक के द्वारा शपथ ग्रहण के दौरान हिंदुस्तान शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति को लेकर काफी बवाल मचा। भाजपा की ओर से विधायक नीरज सिंह बबलू ने ऐसे लोगों को पाकिस्तान चले जाने की सलाह तक दे डाली।यहां तक तो ठीक है लेकिन अगर प्रदेश में कल को सांप्रदायिक गोलबंदी की स्थिति तेजी से पनपती है।तो ऐसी स्थिति में सीएम नीतीश कुमार का रुख क्या होगा?अधिकांश राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सांप्रदायिक मामलों पर कतई समझौता नहीं कर सकते हैं।अगर प्रदेश में कोई राजनीतिक दल सांप्रदायिक माहौल स्थापित करने का प्रयास करेगा।तो तमाम राजनैतिक विवशताओं को किनारा करते हुए सीएम नीतीश कठोर फैसला ले सकते हैं।राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी परिस्थिति में सीएम नीतीश कुमार फिर से 2013 की भांति महागठबंधन के साथ चले जाने पर मजबूर हो जाएंगे।राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अगर प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का माहौल ऊपजता है। तो सीएम नीतीश कुमार संभवत एनडीए का हिस्सा बने रहकर मुख्यमंत्री के पद पर आसीन रहना पसंद नहीं करेंगे।ऐसी स्थिति में सांप्रदायिकता के मुद्दे को आगे रखकर नीतीश कुमार फिर से महागठबंधन की हिस्सा बन सकते हैं।

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