धनिष्ठा नक्षत्र में अनंत चतुर्दशी 1 सितंबर को, महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की हुई शुरूआत
अनंत भगवान की कथा को सुन श्रद्धालु बांधेंगे 14 गांठों वाला अनंत डोर
पटना। अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी 1 सितंबर (मंगलवार) को मनाया जाएगा। श्रद्धालु इस दिन सृष्टिकर्ता निर्गुण ब्रह्म नारायण की भक्ति और पूजा करेंगे। सनातन धर्मावलंबी दुखों से मुक्ति व सुखों की प्राप्ति के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखेंगे और दूध-दही, पंचामृत आदि से निर्मित क्षीरसागर में कुश के बने अनंत भगवान का मंथन कर विधिवत पूजा करेंगे।
धनिष्ठा नक्षत्र में पूरे दिन होगी अनंत पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि अनंत का त्योहार धनिष्ठा नक्षत्र में पूरे दिन मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर मधुर पकवान भोग में अर्पित किया जाएगा। धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल होते हैं, इस दिन मंगलवार दिन होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है। इस नक्षत्र में भगवान विष्णु की पूजा करने से आरोग्यता, निरोग काया व प्रखर बुद्धि का वरदान मिलता है। अनंत पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधने से मुसीबतों से रक्षा एवं साधकों का कल्याण होता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करना बहुत उत्तम होता है। इस दिन अनंत भगवान की कथा को सुनकर श्रद्धालु चौदह गांठों वाला अनंत डोर बांधते हैं। कुछ व्रती अपने घरों में भगवान सत्यनारायण की पूजा कर कथा का रसपान भी करते हैं। भगवान श्री हरि अनंत चतुर्दशी का उपवास करने वाले उपासक के दुखों को दूर करते हैं और उसके घर में धन-धान्य से संपन्नता लाकर उसकी विपन्नता को समाप्त कर देते हैं। उन्होंने बताया कि अनंत की चौदह गांठें चौदह लोकों का प्रतीक है। ये गांठें पाप को बांधने व भगवान के आशीर्वाद की गांठें होती है।
व्रत व पूजन से मनचाहा वरदान
इस दिन पूजा में भगवान को गुलाबी और पीले फूल से पूजा करनी चाहिए। पुष्प में इत्र मिलाकर चढ़ाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है। खास मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु भृंगराज के पत्ते, समी पत्र, तुलसी पत्र व मंजरी, धातृ के पत्ते अनंत भगवान को अर्पित करें। पूजा करने के बाद अनंत सूत्र का मंत्र ‘ॐ अनन्ताय नम:’ पढ़कर पुरुष अपने दाहिने हाथ के बांह पर और स्त्री बाएं हाथ की बांह में बांधते हैं। महिलाएं इस दिन सौभाग्य की रक्षा, ऐश्वर्य प्राप्ति और सुख के लिए इस व्रत को करती हैं। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चौदह वर्षों तक यह व्रत किया जाए तो विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
अनंत चतुर्दशी का आध्यात्मिक महत्व
पंडित झा ने पौराणिक मान्यताओं के आधार पर बताया कि महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरूआत हुई। यह भगवान विष्णु का पूर्ण फलदायक व्रत है। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ करने से सर्व मनोकामना पूर्ण होती है। श्रद्धालु धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान की कामना से भी इस व्रत को करते हैं।
हर गांठ में भगवान अनंत की पूजा
ज्योतिषी झा के मुताबिक अनंत डोर के हर गांठ में भगवान विष्णु के विभिन्न नामों से पूजा की जाती है। पहले अनंत, फिर पुरुषोत्तम, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, बैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर एवं गोविन्द की पूजा की जाती है।
अनंत चतुर्दशी की पौराणिक कथा
पंडित झा ने कहा कि महाभारत की कथा के अनुसार कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा दिया था। इसके बाद पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। इस दौरान पांडवों ने बहुत कष्ट उठाए। एक दिन भगवान श्री कृष्ण पांडवों से मिलने वन पधारे। भगवान श्री कृष्ण को देखकर युधिष्ठिर ने कहा कि, हे मधुसूदन हमें इस पीड़ा से निकलने का और दोबारा राजपाट प्राप्त करने का उपाय बताएं। युधिष्ठिर की बात सुनकर भगवान ने कहा आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें और अनंत भगवान की पूजा करें। इस पर युधिष्ठिर ने पूछा कि, अनंत भगवान कौन हैं? इनके बारे में हमें बताएं। इसके उत्तर में श्री कृष्ण ने कहा कि यह भगवान विष्णु के ही रूप हैं। चतुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है न अंत का, इसलिए भी यह अनंत कहलाते हैं। इनके पूजन से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे। इसके बाद युधिष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत किया और पुन: उन्हें हस्तिनापुर का राज-पाट मिला।
इस वैदिक मंत्र से होगी अनंत धारण
अनंत धारण करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें: अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
राशि के अनुसार अनंत धारण
मेष, सिंह- लाल अनंत
वृष, कर्क व तुला- चमकीला सफेद अनंत
मिथुन, कन्या- हरा अनंत
वृश्चिक- गहरा लाल अनंत
धनु, मीन- पीला अनंत
मकर, कुंभ- नीला अनंत
अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि: प्रात: 08:45 बजे तक (उदयातिथि मान से पूरे दिन होगी पूजा)
धनिष्ठा नक्षत्र: संध्या 04:57 बजे तक
गुली काल मुहूर्त: मध्याह्न 11:19 बजे से 01:24 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:24 बजे से 12:14 बजे तक