February 7, 2025

भाजपा कोटे वाले विभाग में रोक,मगर जदयू कोटे वाले विभाग में जांच की सुगबुगाहट भी नहीं,परिवहन विभाग के तबादलों पर सवाल!

पटना।(बन बिहारी)राज्य के राजस्व तथा भूमि सुधार विभाग में हुए तबादला-पदस्थापन पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर रोक लग जाने के बाद अन्य विभागों में भी हुए तबादला- पदस्थापन को लेकर विवादों की चर्चा आरंभ हो गई है।राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर जून के अंतिम सप्ताह में हुए स्थापना सूची को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है।अब सचिवालय के गलियारों में परिवहन विभाग में हुए तबादला- पदस्थापन को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्व तथा भूमि सुधार विभाग में हुए तबादला-पदस्थापन पर रोक लगाने वाली नीतीश सरकार को परिवहन विभाग के डीटीओ तथा एमवीआई की तबादला-पदस्थापन के मामले में की गई नियमों की अनदेखी त्रुटिपूर्ण क्यों नहीं लग रही है। इसे लेकर सचिवालय के गलियारों में तरह-तरह की अटकलों का दौर जारी है। तबादला-पदस्थापन को लेकर सरकारी नियमों के जानकारों का कहना है की जिस प्रकार से सीओ तथा डीसीएलआर के ट्रांसफर-पोस्टिंग में नियमों की अनदेखी की गई है।उसी प्रकार परिवहन विभाग में भी डीटीओ तथा एमवीआई के ट्रांसफर-पोस्टिंग में समरूप प्रकृति में त्रुटियों की पुनरावृति हुई है।मगर सरकार के द्वारा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की संचिका तलब की जाती है।मगर परिवहन विभाग की संचिका पर किसी प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं होती। जानकार सूत्रों ने बताया कि परिवहन विभाग में भी तीन वर्ष से पहले कई अधिकारियों को तबादला कर दिया गया, तथा एक हफ्ते में एक एमवीआई को दो दो बार ट्रांसफर किया गया।परिवहन विभाग जदयू के कोटे के होने के चलते मुख्यमंत्री की निगाहों से बच जाने की चर्चा सियासी गलियारों में लग रही हैं। हालांकि भाजपा खेमे में परिवहन विभाग में हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग में बरती गई तथाकथित अनियमितता को लेकर गुफ्तगू का दौर जारी है।भाजपा कोटे के मंत्री ऑफ़ दी रिकॉर्ड एक दूसरे से इसका कारण जानना चाह रहे हैं।उल्लेखनीय है कि भाजपा कोटे के मंत्री वाले विभाग राजस्व तथा भूमि सुधार में तबादला- पदस्थापन को लेकर किए गए नियमों की अनदेखी को आधार बनाकर मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव ने स्थापना संबंधी अधिसूचना पर रोक लगा दी।मगर परिवहन विभाग में हुए तबादला- पदस्थापन की प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी के आरोपों पर पूरा सरकारी सिस्टम मौन है।ऐसे में सवाल तो लाजिमी बनता है की एक विभाग में करीब 400 ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सीधी लोक तो वहीं दूसरे विभाग में जांच की औपचारिकता भी क्यों नहीं।

You may have missed