बजाज फाइनेंस-होम क्रेडिट जैसी कंपनियां के किस्त वसूली पर रोक लगाए केंद्र तथा राज्य सरकार,कांग्रेस प्रवक्ता ने की मांग
पटना।बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर ने केंद्र सरकार तथा बिहार सरकार से अपील किया है कि कंज्यूमर प्रोडक्ट खरीदने के लिए ऋण मुहैया कराने वाली बजाज फाइनेंस तथा होम क्रेडिट जैसे कंपनियों के तीन माह के किस्तों के भुगतान पर रोक लगाने की दिशा में पहल करें।प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहां है कि बड़ी संख्या में गरीब तथा मध्यम वर्ग के लोग बजाज फाइनेंस तथा होम क्रेडिट जैसी कंपनियों से ऋण लेकर घरों के जरूरत की वस्तुओं का खरीद करते हैं।कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों के मद्देनजर लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन में गरीब तथा मध्यम वर्ग के आय के साधन ठप पड़े हुए हैं।केंद्र सरकार ने बैंकों को तो तीन महीना के ऋण किस्तों पर समय विस्तार का दिशानिर्देश रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से जारी कर दिया।मगर वास्तविकता यह है कि देश-प्रदेश की एक बड़ी जनसंख्या घरेलू उपकरणों की खरीद के लिए बजाज फाइनेंस तथा होम क्रेडिट जैसी कई अन्य माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ऊपर निर्भर रहती है।लाखों लोगों ने बजाज फाइनेंस तथा होम क्रेडिट जैसी कंपनियों से ऋण लेकर घरेलू उपकरणों की खरीदारी कर रखी है।मार्च माह में इन कंपनियों ने राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन के बावजूद खातों से किस्तों की वसूली कर ली।जिन खातों से वसूली नहीं हो सकी वहां एरियर वसूली का मैसेज जारी कर दिया।प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा है कि राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन के चलते गरीब तथा मध्यम वर्ग के पास ठीक से घर चलाने तथा जीवनयापन करने के पैसे भी संभवतः ना हो।ऐसी स्थिति में बजाज फाइनेंस सरीखे फाइनेंस कंपनियों के किस्तों को यह वर्ग कहां से चुका सकता है।उन्होंने केंद्र सरकार तथा बिहार सरकार से मांग किया है कि सुव्यवस्थित तरीके से बजाज फाइनेंस तथा होम क्रेडिट जैसी माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को निर्देश जारी करें कि वे अप्रैल-मई तथा जून की किस्तों के भुगतान के लिए आम उपभोक्ता वर्ग को तीन माह की अवधि का बैंकों के भांती विस्तार करें। इस अवधि में ऋण अदायगी ना होने के चलते किसी भी कस्टमर का क्रेडिट स्कोर खराब ना करें। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि यह एक बेहद आवश्यक मुद्दा है।मध्यम वर्ग तथा निम्न मध्यमवर्ग के हितों से विशेष तौर पर जुड़ा यह मामला अति आवश्यक है।अतः केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार को इस मुद्दे पर शीघ्रता से विचार करते हुए माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को भी दिशा निर्देश जारी करनी चाहिए।