रोहतास में पुलिस टीम पर हमला: महिला पुलिसकर्मी समेत दो घायल, 20 पर एफआईआर

रोहतास। बिहार के रोहतास में पुलिस टीम पर हमला एक बार फिर राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर रहा है। सासाराम के मुरादाबाद गांव में एक वारंटी को पकड़ने गई पुलिस टीम पर ग्रामीणों ने पथराव कर दिया। इस हमले में एक महिला पुलिसकर्मी समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। दोनों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका उपचार जारी है।
20 लोगों पर मामला दर्ज
घटना के बाद सासाराम मुफस्सिल थाना पुलिस ने 20 नामजद लोगों के साथ कई अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। थाना प्रभारी रौशन कुमार ने इस हमले की पुष्टि की और बताया कि मामले में पुलिस की कार्रवाई जारी है। घटना मंगलवार की रात की है जब टीम मुरादाबाद गांव में वारंटी की गिरफ्तारी के लिए गई थी।
लगातार पुलिस पर हो रहे हमले
यह कोई पहली घटना नहीं है जब बिहार में पुलिस पर हमला हुआ हो। हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिनमें पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया है। इससे पहले अररिया में छापेमारी के दौरान एक एएसआई की जान चली गई थी। वहीं, मुंगेर में एक आपसी विवाद को सुलझाते वक्त एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी गई। इन घटनाओं की कड़ी में अब रोहतास की यह घटना भी जुड़ गई है।
कानून का डर खत्म होता नजर आ रहा
लगातार हो रही इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि राज्य में कानून का डर लोगों के बीच कम होता जा रहा है। पुलिस जो कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभा रही है, उसी पर बार-बार हमले होना न सिर्फ चिंता का विषय है, बल्कि यह प्रशासन की साख और क्षमता पर भी सवाल खड़ा करता है।
पुलिस बल पर दबाव बढ़ता जा रहा
इस तरह की घटनाएं पुलिस बल के मनोबल को भी प्रभावित करती हैं। जिन अधिकारियों और जवानों को जनता की रक्षा करनी है, अगर वे खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो आम लोगों में असुरक्षा की भावना और अधिक गहराएगी।
प्रशासन से सख्त कदम की उम्मीद
इस घटना के बाद आम लोगों के साथ-साथ राज्यभर में यह मांग उठ रही है कि सरकार और पुलिस प्रशासन इस पर गंभीरता से कार्रवाई करे। दोषियों की जल्द पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी कानून के रक्षक पर हाथ उठाने की हिम्मत न कर सके।
सुधार की आवश्यकता
बिहार में लगातार हो रही इन घटनाओं से यह संकेत मिलता है कि कानून-व्यवस्था में कहीं न कहीं बड़ा सुधार करने की जरूरत है। सिर्फ एफआईआर और बयानबाजी से अब काम नहीं चलेगा। जब तक अपराधियों के खिलाफ ठोस और त्वरित कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसे हमले रुकने की संभावना कम ही नजर आती है।

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