पटना के कांग्रेस मुख्यालय मे कार्यकर्ताओं में मारपीट, राहुल गांधी से मिलने की होड़, जमकर हंगामा

पटना। सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पटना आगमन पर कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में भारी हंगामा देखने को मिला। उनके पहुंचते ही कार्यकर्ताओं में उनसे मिलने की होड़ मच गई, जो आगे चलकर हाथापाई और मारपीट में बदल गई। इस अप्रत्याशित घटना से कांग्रेस की अंदरूनी स्थिति एक बार फिर चर्चा में आ गई है।
जातिगत विवाद बना विवाद की जड़
सदाकत आश्रम परिसर में राहुल गांधी के आने से पहले ही कार्यकर्ताओं के बीच जातिगत मुद्दों पर चर्चा हो रही थी। इसी बहस के दौरान विवाद इतना बढ़ गया कि कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। बताया जा रहा है कि कार्यकर्ता रवि रंजन और पूर्व विधायक टुन्ना के बीच पहले बहस हुई, फिर मामला हाथापाई तक पहुंच गया। रवि रंजन ने आरोप लगाया कि उसे सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि वह भूमिहार है और दूसरे पक्ष का व्यक्ति राजपूत जाति से है।
राहुल गांधी का उद्देश्य और कार्यक्रम
राहुल गांधी पटना में ‘नमक सत्याग्रह आंदोलन’ की 95वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। यह कार्यक्रम पटना के एसकेएम में आयोजित किया गया, जिसमें अति पिछड़ा और दलित समाज को लेकर कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में शहीद बुद्धु नोनिया, प्रजापति रामचंद्र जी विद्यार्थी और जगजीवन राम जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के योगदान को याद किया गया। इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय, संविधान और वंचित वर्गों की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करना था।
बेगूसराय की पदयात्रा और निराशा
इस दौरे से पहले राहुल गांधी ने बेगूसराय में कन्हैया कुमार की ‘पलायन रोको और नौकरी दो’ यात्रा में हिस्सा लिया। उन्होंने लगभग 1 किलोमीटर तक पदयात्रा की, लेकिन यह कार्यक्रम मात्र 24 मिनट में खत्म हो गया। राहुल गांधी को एक नुक्कड़ सभा को भी संबोधित करना था, परंतु ऐन मौके पर सभा रद्द कर दी गई, जिससे समर्थकों और कार्यकर्ताओं में निराशा देखी गई।
राजनीतिक संदेश और आंतरिक चुनौतियां
इस पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस के लिए दो स्पष्ट संदेश सामने आए हैं। एक तरफ राहुल गांधी अति पिछड़ा और दलित वर्ग को साधने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर जातिगत मतभेद और अनुशासनहीनता उजागर हो रही है। यह घटना पार्टी की जमीनी हकीकत को भी सामने लाती है कि जहां एक तरफ नेतृत्व जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता की कमी साफ दिख रही है। राहुल गांधी का बिहार दौरा सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, लेकिन पार्टी मुख्यालय में हुआ हंगामा कांग्रेस की छवि पर नकारात्मक असर डाल सकता है। पार्टी नेतृत्व के लिए यह एक चेतावनी है कि अगर जमीनी स्तर पर अनुशासन और समरसता नहीं बनी, तो राजनीतिक रणनीतियां भी व्यर्थ हो सकती हैं।
