December 21, 2024

युवा लड़कियों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं पटना की शिखा, आप भी जानें कौन है शिखा

पटना। पटना में उपनगरीय इलाके रामकृष्ण नगर में रहने वाली शिखा कुमारी ने अपनी जिंदगी की बाधाओं को दूर कर लिया है और पूरी मजबूती और कड़ी मेहनत के साथ उसने अपने सपनों को वास्तविकता में बदल दिया है। शिखा की प्रेरणादायक कहानी को स्टेफ्री रुड्रीम्स आॅफ प्रोग्रेस अभियान के माध्यम से सामने लाने का श्रेय प्रतिष्ठित बेडमिंटन खिलाडी पीवी सिंधु को जाता है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में जहां माता-पिता अपनी लड़कियों को स्कूल या कॉलेज में पढ़ने के लिए तो भेजते हैं लेकिन खेलकूद के लिए उन्हें ज्यादा वक्त बाहर गुजारने की इजाजत नहीं मिलती। कम उम्र में ही उनका विवाह कर दिया जाता है- ऐसे माहौल में किसी लड़की को अगर कराटे में दिलचस्पी होने लगे तो यह कोई मामूली बात नहीं है। शिखा ने अपनी 12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद कराटे क्लास में दाखिला ले लिया। ट्रेनिंग का कुछ वक्त गुजरने के दौरान शिखा ने पाया कि उसके साथ के दूसरे बच्चे उम्र में उससे बहुत छोटे हैं। शिखा के मन में विचार आया कि कहीं उसने इस खेल को सीखने में देरी तो नहीं कर दी है? और क्या वो पूरे समर्पण के साथ कराटे सीख पाएंगी? क्योंकि उसने सुना था कि इस खेल में पूर्णता प्राप्त करने के लिए कई वर्षों के समर्पण की आवश्यकता होती है। वह अक्सर यह ताने भी सुना करती थी कि टूटी हुई हड्डियों और जख्मों वाली लड़कियों को कोई लड़का भी नहीं मिलता और उनकी शादी में भी तमाम मुश्किलें आती हैं। शायद यही वो कारण था जिसकी वजह से शिखा अपने पिता को भी सच्चाई बताने में हिचकती थी और वह तरह-तरह की कहानियां बनाकर उन्हें सुना देती, क्योंकि वो जानती थी कि उसके पिता कराटे जैसे एक आक्रामक खेल का हिस्सा बनने की अनुमति उसे कभी नहीं देंगे। फिर भी शिखा अपने फैसले पर कायम रही और यह जानते हुए भी आगे एक मुश्किल और लंबा रास्ता उसे तय करना है, शिखा उसी रास्ते पर आगे बढती रही, जिसे वो दिल से चाहती थी। आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपने घर वालों को भी राजी कर लिया और जब वो छोटे-मोटे टूर्नामेंट में जीत हासिल करने लगी तो घर वालों को भी उसके टैलेंट पर यकीन होने लगा। हालांकि संघर्ष का दौर अभी जारी था और कामयाबी की तरफ उसके कदम धीरे-धीरे आगे बढ रहे थे। इसी दौरान शिखा को राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला। इसके बाद उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, हालांकि उसने पूरी मेहनत और जुनून के साथ अपने सपने को जीवित रखा है।
स्टेफ्री इंडिया के हालिया अभियान ड्रीम्स आॅफ प्रोग्रेस ने देश भर से ऐसी कई युवा लड़कियों को अपने सपने दुनिया को सुनाने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें प्रेरित किया कि वे आगे आएं और बताएं कि वे भी एक नई दुनिया का हिस्सा बनना चाहती हैं, जहां वे बदलाव लाते हुए यह साबित करेंगी कि उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। काम करने के मुकाबले बहाने बनाना हमेशा आसान होता है, लेकिन शिखा जैसी युवा लड़कियां भी हैं, जो अपने रास्ते से हर कांटे को हटाते हुए पूरे भारत में युवा लड़कियों के लिए एक उदाहरण स्थापित करती हैं।

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