विधानसभा में आरजेडी विधायकों का सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, ‘आरक्षण चोर कुर्सी छोड़’ के लगाए नारे

पटना। बिहार विधानमंडल का बजट सत्र अपने आठवें दिन भी जोरदार हंगामे और तीखी बहसों के बीच जारी है। विपक्ष लगातार सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रहा है। जैसे-जैसे सत्र आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
विपक्ष का आक्रोश और विरोध प्रदर्शन
बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के विधायकों ने सदन के बाहर अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार प्रदर्शन किया। वे सरकार पर आरक्षण विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए “आरक्षण चोर कुर्सी छोड़” जैसे नारे लगा रहे थे। विपक्ष का कहना है कि सरकार गरीबों, पिछड़ों और दलितों के हक को मारने का काम कर रही है। आरजेडी के साथ अन्य विपक्षी दल भी इस विरोध में शामिल हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार पर जनविरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया और मांग की कि राज्य सरकार आरक्षण से संबंधित अपने फैसलों पर पुनर्विचार करे।
सरकार का बचाव और सत्ता पक्ष की रणनीति
वहीं, सत्ता पक्ष के नेताओं ने विपक्ष के इन आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया। सरकार के मुताबिक, वह सामाजिक न्याय और आरक्षण नीति के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सत्तारूढ़ दल के नेताओं का कहना है कि विपक्ष जानबूझकर राजनीतिक फायदे के लिए बेवजह हंगामा कर रहा है और सदन की कार्यवाही बाधित कर रहा है। मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने विपक्ष से अनुरोध किया कि वे सदन के भीतर अपनी बात रखें और संसदीय मर्यादा बनाए रखें। सरकार का तर्क है कि अगर विपक्ष को किसी मुद्दे पर आपत्ति है, तो उसे चर्चा के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए, न कि हंगामे और नारेबाजी से।
सदन के भीतर भी हंगामा
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी विधायकों ने फिर से नारेबाजी शुरू कर दी और सरकार से जवाब मांगने लगे। विधानसभा अध्यक्ष ने कई बार विधायकों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन हंगामा बढ़ता चला गया। विपक्ष ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर भी सरकार को घेरने की कोशिश की। उनके अनुसार, सरकार सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है और जमीनी स्तर पर कोई ठोस काम नहीं हो रहा है।
बजट सत्र की अहमियत
बजट सत्र किसी भी राज्य की नीति-निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए अपने खर्च और योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। बिहार में भी यह सत्र इसलिए अहम है क्योंकि इसमें कई नई योजनाओं की घोषणा की गई है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया गया है। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि सरकार द्वारा पेश किया गया बजट आम जनता के लिए निराशाजनक है और इसमें गरीबों और वंचित वर्गों की जरूरतों को नज़रअंदाज़ किया गया है। विधानसभा सत्र में विपक्ष का विरोध जारी रहने की संभावना है। अगर दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बनी, तो आने वाले दिनों में और भी ज्यादा हंगामा देखने को मिल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार विपक्ष को शांत करने और बजट सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए क्या रणनीति अपनाती है। बिहार की राजनीति में बजट सत्र सिर्फ वित्तीय योजनाओं का दस्तावेज़ भर नहीं है, बल्कि यह सरकार और विपक्ष के बीच शक्ति प्रदर्शन का भी मंच बन चुका है।

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