पटन देवी मंदिर की जर्जर हालत: दीवारों में दरारें और गर्भगृह की जमीन धंसी

पटना। प्रसिद्ध पटन देवी मंदिर, जो देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है, इस समय जर्जर स्थिति में है। मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर की जमीन धंसने लगी है, और दीवारों में दरारें आ गई हैं। यह समस्या निर्माण कार्य में लापरवाही के कारण उत्पन्न हुई है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इस ऐतिहासिक धरोहर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
निर्माण कार्य में लापरवाही और अधूरा प्रोजेक्ट
मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंदिर के पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण के लिए 8 करोड़ रुपए की राशि जारी की थी। इस फंड से गर्भगृह, मुख्य प्रवेश द्वार, गुंबद और सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाना था। यह कार्य 2023 तक पूरा होना था, लेकिन अब तक अधूरा है। पिछले 6 महीनों से निर्माण कार्य पूरी तरह बंद पड़ा है। जिस स्थान पर निर्माण कार्य हो रहा था, वहां नीचे से पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे आसपास की जमीन धंसने लगी है। पानी जमा होने से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
मंदिर की नींव कमजोर, लोहे का गार्टर लगाया गया
मंदिर के महंत विजय शंकर गिरी ने बताया कि निर्माण कार्य के दौरान बेस को मजबूत नहीं किया गया, जिससे मंदिर के चारों ओर पानी भर गया है। यही कारण है कि जमीन धंसने लगी और दीवारों में दरारें आ गई हैं। फिलहाल, नए मंदिर के पीछे लोहे का गार्टर लगाकर इसे सपोर्ट दिया गया है, लेकिन मंदिर की नींव को मजबूत करने की सख्त जरूरत है। यदि जल्द जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो मंदिर को गंभीर नुकसान हो सकता है।
गर्भगृह निर्माण की स्थिति
नए मंदिर के गर्भगृह का गुंबद 63 फीट ऊंचा बनाए जाने का प्रस्ताव है, लेकिन अब तक 45 फीट का निर्माण ही हो पाया है। मंदिर को भव्य और सुंदर बनाने के लिए संगमरमर पर नक्काशी की जा रही है। इसके लिए राजस्थान और अन्य राज्यों से कारीगरों को बुलाया गया है। मंदिर की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए बिहार, रुड़की और विदेशों से विशेषज्ञ इंजीनियरों को बुलाने की योजना पर चर्चा हो रही है। फिलहाल, गर्भगृह का 75% कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन तकनीकी खामियों के कारण निर्माण कार्य रुका हुआ है।
प्रशासन की उदासीनता और निर्माण कार्य की देरी
मंदिर प्रबंधन समिति के अनुसार, 6 महीने पहले विभागीय अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचे थे, जिसके बाद से निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई। जब तक विशेषज्ञ इंजीनियर तकनीकी समस्याओं का हल नहीं निकालते, तब तक निर्माण कार्य फिर से शुरू नहीं किया जा सकता। पटना सिटी के अनुमंडल पदाधिकारी का कहना है कि निर्माण कार्य में टेक्निकल फॉल्ट आया है, जिसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा।
पटन देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
पटन देवी मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां माता सती की दाहिनी जांघ गिरी थी। यही कारण है कि यह मंदिर हिंदू श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है। 1912 में जब राजधानी का नाम पाटलिपुत्र से बदलकर पटना किया गया था, तब पटन देवी मंदिर का विशेष योगदान रहा था। हर साल नवरात्रि के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इसके अलावा, लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थल के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। पटन देवी मंदिर की मौजूदा स्थिति चिंताजनक है। निर्माण कार्य की धीमी गति और तकनीकी खामियों के कारण मंदिर की नींव कमजोर पड़ गई है, जिससे दीवारों में दरारें आ गई हैं और गर्भगृह की जमीन धंसने लगी है। अगर जल्द ही इस पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर गंभीर खतरे में पड़ सकती है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस पर जल्द ध्यान दें और निर्माण कार्य को तेजी से पूरा करवाएं, ताकि यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रह सके।

You may have missed