मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए हुई विशेष अधिकारियों की तैनाती, विभाग का निर्देश जारी
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पटना। बिहार में मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षाओं को शांति और पारदर्शिता से संचालित करने के लिए शिक्षा विभाग ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। विभाग ने परीक्षाओं को कदाचार मुक्त और स्वच्छ वातावरण में संपन्न कराने के उद्देश्य से हर जिले में विशेष अधिकारियों की तैनाती का निर्णय लिया है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ ने आदेश जारी किए हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित इंटरमीडिएट परीक्षा 1 फरवरी से 15 फरवरी 2024 तक होगी। इसके बाद मैट्रिक परीक्षा का आयोजन 17 फरवरी से 25 फरवरी 2024 तक किया जाएगा। दोनों परीक्षाओं को निष्पक्ष और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए शिक्षा विभाग ने व्यापक कदम उठाए हैं।
विशेष अधिकारियों की तैनाती
इन परीक्षाओं की निगरानी के लिए हर जिले में मुख्यालय से एक-एक विशेष अधिकारी को तैनात किया गया है। ये अधिकारी उड़न दस्ता के रूप में काम करेंगे। इनका मुख्य कार्य परीक्षा केंद्रों पर किसी भी प्रकार की अनियमितता, कदाचार, और गड़बड़ी को रोकना होगा। अधिकतर तैनात अधिकारी जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान के व्याख्याता हैं।
उड़न दस्ते की भूमिका
उड़न दस्ते की मुख्य जिम्मेदारी परीक्षा के दौरान केंद्रों पर औचक निरीक्षण करना, किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रोकना, और परीक्षा की शुचिता को बनाए रखना है। ये अधिकारी परीक्षा केंद्रों का दौरा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सभी निर्देशों का सख्ती से पालन हो।
शिक्षा विभाग की प्रतिबद्धता
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और उनकी मॉनिटरिंग की जाए।
परीक्षार्थियों और अभिभावकों को संदेश
शिक्षा विभाग ने परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों से अपील की है कि वे परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों का प्रयोग न करें। विभाग ने भरोसा दिलाया है कि छात्रों को निष्पक्ष माहौल में परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। बिहार बोर्ड परीक्षाओं की सुचिता बनाए रखने के लिए शिक्षा विभाग का यह कदम सराहनीय है। उड़न दस्ते की तैनाती से न केवल परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि छात्रों में अनुशासन का भी विकास होगा। इस पहल से शिक्षा व्यवस्था में सुधार और विश्वास दोनों स्थापित होंगे।
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