February 5, 2025

नई ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति के तहत पहली लिस्ट जारी, 35 कैंसर पीड़ित शिक्षकों को मिला ट्रांसफर

पटना। बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग ने पहले फेज की लिस्ट जारी कर दी है। पहले फेज में कैंसर पीड़ित शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग होगी। शिक्षा विभाग ने लेटर जारी कर बताया कि इस कैटेगरी में 759 आवेदन मिले हैं। इसमें 47 नियमित शिक्षक, 260 विद्यालय अध्यापक और 452 नियोजित शिक्षक हैं। इसमें दोनों विकल्प यानी जिले के अंदर ट्रांसफर और दूसरे जिलों में ट्रांसफर को चुना गया है। 47 नियमित शिक्षकों के आवेदन में 35 स्वीकार किया गया है। डॉक्यूमेंट नहीं रहने के कारण 3 आवेदन पर विचार नहीं किया गया। 9 आवेदन अलग कैटेगरी सिलेक्ट करने की वजह से पेंडिंग हैं। 1 से 15 दिसंबर 2024 तक इसे लेकर आवेदन लिए गए थे। कुल 1.90 लाख टीचर्स ने ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए अप्लाई किया था। एक दिन के अंदर ही जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा ट्रांसफर का आदेश जारी किया जाएगा। 7 दिनों के अंदर नए जगह पर जॉइन करना होगा। इस पूरी प्रक्रिया में शिक्षकों को यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा। विभाग का कहना है कि ट्रांसफर शिक्षक-शिक्षिकाओं के अनुरोध पर किया जा रहा है। सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को ट्रांसफर-पोस्टिंग का आदेश ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
शिक्षा विभाग ने कहा था- जनवरी में पूरी कर लेंगे प्रक्रिया
बिहार के 1 लाख 90 हजार शिक्षक ट्रांसफर के इंतजार में हैं। शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो सरकार सिर्फ तीस से चालीस हजार शिक्षकों के ट्रांसफर पर विचार कर रही है। बाकी स्क्रूटनी में बाहर किए जा सकते हैं। यह शिक्षा विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने साल के पहले सप्ताह में ट्रांसफर पोस्टिंग की प्रक्रिया पूरी करने की बात कही थी। आवेदन देने वाले ज्यादातर शिक्षकों ने जिलों के अंदर ही ट्रांसफर के लिए आवेदन किया है। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पटना सदर में पोस्टिंग के लिए दानापुर परिषद, फुलवारी परिषद, फतुहा परिषद जैसे स्थानों से तबादले के लिए आवेदन दिया गया है। शिक्षकों ने दूरी के आधार पर 15 किलोमीटर के डिस्टेंस को बेस बनाकर आवेदन किया है। ऐसे आवेदनों का रिजेक्ट होना तय माना जा रहा है। शिक्षा विभाग की माने तो वैसे टीचर जिनकी पोस्टिंग दूर के जिलों में है। उन्हें वरीयता मिल सकती है। बिहार में टीआरई-1 और टीआरई-2 में शिक्षकों की पोस्टिंग किशनगंज से पश्चिम चंपारण, गया से अररिया, अररिया से गया, नालंदा से बेतिया तक की गई है।
11 हजार 875 फॉर्म एक अधिकारी के जिम्मे
स्क्रूटनी में लगाए गए अधिकारियों की बड़ी चुनौती आवेदन को ट्रांसफर के लिए आगे बढ़ाना है। शिक्षा विभाग ने स्क्रूटनी की गाइडलाइन में कहा गया है कि प्रतिनियुक्त अधिकारी फॉर्म स्क्रूटनी में किसी सहयोगी का सहयोग नहीं लेना है। सचिवालय सहायक, क्लर्क, कम्प्यूटर ऑपरेटर का सहयोग नहीं ले। ऐसे में एक अधिकारी को 11 हजार 875 फॉर्म को निपटारा करना है। इधर, प्रतिनियुक्त अधिकारी की माने तो एक दिन में एक अधिकारी 50 फॉर्म को स्क्रूटनी कर सकते हैं। इनकी माने तो सरकार ट्रांसफर को टालना चाहती है। इसलिए इस तरह का प्रावधान किया गया है।
पटना और बिहार-यूपी के बॉर्डर वाले जिलों पर प्रेशर
शिक्षकों की पहली पसंद पटना सदर और बिहार-यूपी के बॉर्डर वाले जिले बना है। पटना के सरकारी स्कूल खूब पसंद किए गए हैं। बक्सर, पश्चिम चंपारण जैसे जिले यूपी से नियुक्त किए गए शिक्षकों की पहली पसंद है।
15 दिसंबर तक लिए गए थे फॉर्म
1 से 15 दिसंबर तक शिक्षकों के फॉर्म लिए गए थे। जिसमें कुल 1 लाख 90 हजार 332 टीचर में से 85 फीसदी से अधिक शिक्षकों ने दूरी की वजह से ट्रांसफर की अर्जी लगाई है। 1 लाख 62 हजार 167 टीचर ने दूरी का हवाला देते हुए सरकार से घर के नजदीक पोस्ट करने का अर्जी दाखिल की है। बिहार के पुराने पोस्टिंग से टीचर खुश नहीं दिख रहे हैं। बिहार के 35 फीसदी शिक्षकों ने तबादला की अर्जी डाल दी है। कुल 5 लाख 45 हजार 270 शिक्षकों में से 1 लाख 90 हजार 332 शिक्षकों ने ट्रांसफर की मांग की है। इस तबादले में सबसे पहली प्राथमिकता कैंसर मरीजों को मिलना है। इन शिक्षकों के चॉइस पोस्टिंग के आवेदन पर सबसे पहले ध्यान दिया जाएगा। इसके बाद क्रिटिकल इनलनेस वाले को प्राथमिकता दी जाएगी। फिर इसके बाद दिव्यांग, आटिज्म, विडो, पति-पत्नी के आधार पर पोस्टिंग की जाएगी।

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