राजद विधायक आलोक मेहता के पटना समेत कई ठिकानों पर ईडी की छापेमारी, एजेंसी की दबिश से हड़कंप
पटना। शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजद विधायक और पूर्व मंत्री आलोक मेहता के कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई उनके वैशाली स्थित पैतृक गांव मिर्जानगर, पटना, दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी में की गई। ईडी की यह छापेमारी वैशाली शहरी विकास सहकारिता बैंक में 85 करोड़ रुपये की कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर हुई।
किन-किन जगहों पर हुई छापेमारी?
ईडी की टीम ने आलोक मेहता के पटना स्थित आवास, वैशाली जिले के महुआ के पास कोल्डस्टोरेज और उनके पैतृक गांव मिर्जानगर में छापेमारी की। इसके साथ ही दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी के ठिकानों पर भी दबिश दी गई। इस कार्रवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों और संपत्तियों से संबंधित जानकारी जुटाई गई। आलोक मेहता का राजनीतिक सफर
आलोक मेहता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता हैं और राजद सुप्रीमो लालू यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्होंने महागठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री का पद भी संभाला है। फिलहाल वे समस्तीपुर के उजियारपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इसके अलावा वे समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं। आलोक मेहता अक्सर राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ देखे जाते हैं, जो लालू यादव की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
घोटाले का मामला और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
वैशाली शहरी विकास सहकारिता बैंक में 85 करोड़ रुपये के कथित घोटाले के आरोपों को लेकर यह कार्रवाई की गई है। छापेमारी से ठीक एक दिन पहले आलोक मेहता को फ्रेजर रोड स्थित एक बैंक शाखा में देखा गया था। उनके वहां जाने के कारणों पर संदेह जताया जा रहा है। इस कार्रवाई पर जदयू ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जदयू एमएलसी नीरज कुमार ने कहा, यह छापेमारी वैशाली को-ऑपरेटिव बैंक में लोन लेने के मामले से जुड़ी है। राजद की संस्कृति में भ्रष्टाचार निहित है। लालूवाद की विचारधारा का यह परिणाम है, और तेजस्वी यादव इसके प्रमुख आइकन हैं। इस विचारधारा का असर तो पड़ेगा ही।
लालू परिवार के करीबी पर सवाल
आलोक मेहता का लालू परिवार के साथ गहरा संबंध है। यही कारण है कि यह छापेमारी सत्ताधारी महागठबंधन सरकार के लिए भी परेशानी का कारण बन सकती है। भाजपा और जदयू इसे राजद की भ्रष्टाचार-प्रधान राजनीति का प्रमाण बता रहे हैं।
ईडी की कार्रवाई और आगे का असर
ईडी ने इस मामले में कई अहम दस्तावेज जब्त किए हैं, जो घोटाले से जुड़े हो सकते हैं। आगे की जांच के आधार पर यह तय होगा कि क्या आलोक मेहता के खिलाफ ठोस सबूत मिलते हैं। यह कार्रवाई बिहार की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकती है, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। आलोक मेहता पर ईडी की इस कार्रवाई ने महागठबंधन सरकार की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां विपक्ष इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम बता रहा है, वहीं राजद इस पर अभी तक चुप्पी साधे हुए है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।