February 4, 2025

नीतीश कुमार के तीसरी गलती का डर- फरवरी-मार्च में होंगे बिहार विधानसभा चुनाव!

पटना।(बन बिहारी)पिछले एक पखवाड़े से बिहार के राजनीति में सीएम नीतीश कुमार के गठबंधन फिर से बदल लिए जाने के चर्चाओं ने जोर पकड़ रखा है।जिसे लेकर कई बार कभी भाजपा तो कभी जदयू के नेता सफाई पेश करते रहे हैं।दरअसल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान ने बिहार में एनडीए की राजनीति में भूचाल ला दिया है।उसके बाद मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ऐसी चुप्पी साधी कि दिल्ली से लेकर पटना तक सहयोगी दलों को पसीना आ गया। 2025 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का नेतृत्व सीएम नीतीश कुमार करेंगे या एनडीए किसी नए चेहरे पर चुनाव मैदान में उतरेगी।इसे लेकर भाजपा के नेताओं के बयान कई स्वरूप में सामने आने लगे।कई बार तो भाजपा के उपमुख्यमंत्रियों को अपना बयान 12 घंटे के भीतर बदलना पड़ा। भाजपा के प्रदेश स्तर के सिर्फ नेताओं के लगातार सफाई देने के बाद अंतर्दृष्टि नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी में जाकर बयान दिया कि दो बार गलती हो गई है तीसरी बार गलती नहीं करेंगे। इसी बीच पूर्व उपमुख्यमंत्री तथा बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का बयान आ गया कि सीएम नीतीश कुमार के लिए राजद सभी दरवाजे बंद है। गौरतलब है की दिसंबर के दूसरे पखवाड़े के आरंभ से लगातार सीएम नीतीश कुमार की चुप्पी भाजपा के नेतृत्व को चुभ रही थी। इधर भाजपा के धुरंधरों ने सरेंडर किया वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार ने दो बार की गलती स्वीकार ली और तीसरी बार गलती नहीं करने के संकल्प को दोहराया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का सीएम नीतीश कुमार के लिए राजद के सभी दरवाजे बंद वाला बयान सामने आता है इस बयान के बाद भाजपा के ‘थिंक टैंक्स’ बेचैन हो उठें। भाजपा के तमाम रणनीतिकार तेजस्वी यादव के बयान से बेचैन हो उठे।जिसका कारण यह है कि तेजस्वी यादव ने यह बयान ऐसे मौके पर दिया है।जिसका सही मतलब निकालना वैसे तो बहुत कठिन है। लेकिन राजनीतिक तिकड़म बाजी के बिसात में ऐसे बयान का मतलब रेड सिग्नल के जगह ग्रीन सिग्नल माना जाता है।कुछ ऐसा ही बयान 2023 के अंत में भाजपा के नेताओं के द्वारा नीतीश कुमार के संदर्भ में दिया गया था।जिसके नतीजा स्वरूप नीतीश कुमार 2024 के शुरुआत में ही भाजपा के साथ राजद-कांग्रेस को छोड़ चले गए। राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि बिहार में जिस प्रकार 2024 के आरंभ में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीएम नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक चाल बदल ली थी।इस प्रकार 2025 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में फिर से सीएम नीतीश कुमार के तीसरी बार गलती दोहराते हुए राजनीतिक चाल बदल लेने के आसार प्रबल है। बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीचो बीच प्रदेश के महामहिम राज्यपाल भी बदल दिए गए हैं।आरिफ मोहम्मद को बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया है।इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारों में तेज है कि भाजपा इस बार सीएम नीतीश कुमार को तीसरी गलती दोहराने का मौका नहीं देने वाली।मतलब साफ है कि अगर जदयू- राजद के बीच पॉलिटिकल खिचड़ी पकती है।तो भाजपा पूरे चूल्हे को विध्वंस करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।जानकार सूत्रों के अनुसार अगर बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन में परिवर्तन के संकेत दिखे।तो भाजपा अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को फरवरी-मार्च में भी कर सकती है।दिल्ली में भाजपा की सरकार है।जो जदयू के सांसदों के बगैर भी बहुमत में है।ऐसे में बिहार में समय पूर्व चुनाव के ऐलान से सरकार के समक्ष कोई खतरा भी उत्पन्न नहीं होगा। कहा तो यह भी जा रहा है कि जदयू के अधिकांश सांसद अपने आप को भाजपा के साथ ‘सेफ जोन’में मानते हैं। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष का आरंभ में जब सीएम नीतीश कुमार राजद-कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा के साथ सरकार का गठन कर रहे थे।उस वक्त भी जदयू के विधायकों को टूटने से बचाने में भाजपा का रोल अहम था।इसलिए इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि अगर बिहार में किसी प्रकार से सरकार पर खतरा महसूस होता है।तो विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल में भी घोषित किया जा सकते हैं।

लेखक-बन बिहारी Amritvarshanews.in के समाचार संपादक हैं.

You may have missed