बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत आने पर स्विग्गी-जोमैटो जैसे डिलीवरी प्लेटफार्म में करते हैं काम, ध्यान दे कंपनी : गिरिराज सिंह
- केंद्रीय मंत्री बोले- घुसपैठियों में मुसलमान और रोहिंग्या की संख्या ज्यादा, बिना वेरिफिकेशन काम ना दे कंपनी
पटना। केंद्रीय कपड़ा मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने बांग्लादेशी मुसलमान और रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में प्रवेश को लेकर गंभीर दावा किया है। उन्होंने कहा कि ये लोग भारत में आने के बाद स्विग्गी, जोमैटो, अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी सर्विस इंडस्ट्री में काम करने लगते हैं। साथ ही, उन्होंने हिंदुओं की सुरक्षा और आत्मरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि भारत को बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों से सबक लेना चाहिए।
घुसपैठ और सर्विस इंडस्ट्री पर आरोप
गिरिराज सिंह ने शनिवार को अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी मुसलमान और रोहिंग्या सर्विस सेक्टर में डिलीवरी बॉय के रूप में काम करना शुरू कर देते हैं। उन्होंने स्विग्गी, जोमैटो, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से आग्रह किया कि वे इस पर ध्यान दें और किसी भी संदिग्ध जानकारी को पुलिस के साथ साझा करें। उनका यह बयान देश में अवैध घुसपैठ और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उजागर करता है। उन्होंने कंपनियों से अधिक सतर्कता बरतने और इस प्रकार की घुसपैठ को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार, गिरिराज सिंह की चिंता
गिरिराज सिंह ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सरकार चरमपंथियों के दबाव में आकर वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हो रही घटनाएं मानवता पर गहरा आघात हैं। वहां हिंदुओं की हत्याएं की जा रही हैं, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, और महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने इसे पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ हुई घटनाओं से जोड़ते हुए कहा कि दोनों देशों की स्थिति में अब कोई अंतर नहीं रह गया है।
संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग
गिरिराज सिंह ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भारत में अक्सर मानवाधिकार की बात करने वाले लोग, जिन्हें ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ कहा जाता है, बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर चुप क्यों हैं। उन्होंने भारत सरकार और वहां के दूतावास द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि पत्राचार और चेतावनी के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। ऐसे में अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संज्ञान लेना चाहिए और इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
हिंदुओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण का सुझाव
गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत को बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचारों से सबक लेना चाहिए। उन्होंने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत के हिंदुओं को भी आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि यह समय है जब सभी हिंदू समाज को संगठित होकर अपनी सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक समरसता पर प्रभाव
गिरिराज सिंह के इस बयान ने भारत में अवैध घुसपैठ और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है। उनकी टिप्पणी न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा बल्कि सामाजिक समरसता के सवाल भी उठाती है। सर्विस इंडस्ट्री में बांग्लादेशी घुसपैठियों की भागीदारी के आरोप से यह स्पष्ट होता है कि अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर सख्ती से नजर रखने की आवश्यकता है। इससे न केवल आर्थिक व्यवस्था पर असर पड़ता है, बल्कि सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी बढ़ जाती हैं।
गिरिराज सिंह के बयान की प्रतिक्रिया
गिरिराज सिंह का बयान उनके समर्थकों के बीच सराहना और विपक्षी दलों के बीच आलोचना का विषय बन गया है। जहां एक तरफ उनके समर्थक इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास मानते हैं, वहीं विपक्ष इसे अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने और समाज में विभाजन बढ़ाने का आरोप लगाता है। देश में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या और उनकी भागीदारी से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसी टिप्पणियां समाज में तनाव बढ़ा सकती हैं। ऐसे में सभी वर्गों को एकजुट करने की आवश्यकता है। यदि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन हैं, तो संयुक्त राष्ट्र को इस पर विचार करना चाहिए। गिरिराज सिंह का यह बयान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन सकता है। उनके दावों ने सुरक्षा, सामाजिक एकता और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा जैसे मुद्दों को नए सिरे से उठाया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार, कंपनियां और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन मामलों पर क्या कदम उठाते हैं।