भाजपा का काम सहयोगी दलों को ब्लैकमेल करना, इनके साथ काम कर नीतीश भी परेशान : अखिलेश सिंह
- कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का हमला, बोले- उनकी विचारधारा ही ऐसी की कोई इनके साथ काम नहीं कर सकता, सभी पार्टी बीजेपी से परेशान
पटना। बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उनके सहयोगी दलों के बीच संबंधों पर तीखा हमला किया है। अखिलेश सिंह ने कहा कि बीजेपी के साथ काम करना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल है, क्योंकि यह पार्टी अपने सहयोगी दलों को ब्लैकमेल करती है। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उदाहरण दिया, जिनके बारे में उनका कहना है कि वे बीजेपी के साथ काम करते हुए परेशान और असंतुष्ट हैं।मणिपुर में जारी हिंसा के बीच बीजेपी की सहयोगी पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि बीजेपी के सहयोगी दलों के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। अखिलेश सिंह ने इसे उठाते हुए कहा कि बीजेपी के साथ टिके रहना असंभव है, और यही कारण है कि नीतीश कुमार जैसे नेता भी अंदर से असंतुष्ट होंगे। अखिलेश सिंह ने झारखंड विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वहां प्रचार के लिए नहीं गए। उनका कहना था कि नीतीश कुमार जानते हैं कि वहां जाकर भी उन्हें कोई लाभ नहीं होगा। यह बयान बताता है कि विपक्षी दल यह मानते हैं कि नीतीश कुमार के पास बीजेपी के साथ काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, लेकिन वे इस स्थिति से खुश नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आगामी 23 तारीख को होने वाले उपचुनावों पर विश्वास जताते हुए कहा कि बिहार की चारों सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी जीत हासिल करेंगे। यह बयान बताता है कि महागठबंधन अपने आप को मजबूत मान रहा है और उसे जनता का समर्थन मिलने की उम्मीद है। बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए अखिलेश सिंह ने कहा कि यह पूरी तरह चरमरा गई है। उन्होंने कहा कि कभी बिहार बेहतर शिक्षा के लिए जाना जाता था, लेकिन अब राज्य की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि यहां के छात्र-छात्राओं को दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय का उदाहरण दिया, जो ऐतिहासिक रूप से शिक्षा का केंद्र था, लेकिन आज की स्थिति इसके विपरीत है। इस पूरे बयान से यह स्पष्ट होता है कि बिहार में राजनीतिक परिदृश्य काफी गर्म है। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं, और विपक्ष इसे भुनाने की कोशिश कर रहा है। मणिपुर हिंसा और एनपीपी के समर्थन वापसी जैसे मुद्दों को कांग्रेस जैसे विपक्षी दल एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। अखिलेश सिंह का बयान यह भी दिखाता है कि बिहार में महागठबंधन को अपनी ताकत पर भरोसा है। वे नीतीश कुमार को बीजेपी से अलग करने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था जैसे मुद्दों को उठाकर कांग्रेस सरकार पर दबाव बना रही है और जनता के बीच अपनी साख मजबूत करने की कोशिश कर रही है। बिहार की राजनीति इस समय बदलाव के मुहाने पर खड़ी है। एक ओर जहां महागठबंधन ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, वहीं बीजेपी को अपने सहयोगी दलों के साथ रिश्तों में खटास का सामना करना पड़ रहा है। आने वाले चुनावी परिणाम तय करेंगे कि बिहार में राजनीतिक संतुलन किस दिशा में जाएगा। शिक्षा और विकास जैसे मुद्दे जनता के लिए महत्वपूर्ण बने रहेंगे, और यही मुद्दे आगामी चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।